महाकुंभ की शुरुआत जल्द ही होने वाली है जिसे लेकर संत समाज प्रयागराज पहुंच रहा है। इस महाकुंभ को देखने के लिए देश और दुनिया भर से लोग आते है। इस बार का महाकुंभ 13 जनवरी 2025 से लेकर 26 फरवरी 2025 तक चलेगा। यह मेला पूरे 44 दिनों तक रहेगा। कुम्भ की तैयारियां अंतिम चरण में है। हर कुंभ का स्थान राशियों के स्थान से तय किया जाता है। इस बार का मेला प्रयागराज में आयोजित हो रहा है, इसलिए इसे प्रयाग कुंभ मेले के नाम से जाना जा रहा है। मेला प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर आयोजित होगा। यहां पर करोड़ो लोग स्नान करने आएंगे।
इसके अलावा इस मेले में भारत के 13 अखाड़े भी पहुंचेंगे। उनमें से 3 अखाड़ों की पेशवाई आज हो रही है। इन तीनों अखाड़े में श्री निर्वाणी अनि अखाड़ा, श्री निर्मोही अनि अखाड़ा और श्री दिगंबर अनि अखाड़ा शामिल है। इन अखाड़ों की शोभायात्रा में 10 हजार साधु और संत हाथी, घोड़े, ऊंट और रथो पर सवार होकर निकले है। शोभायात्रा के दौरान संत जगह-जगह पर अपने करतब दिखा रहे थे। साथ ही तलवारें भी लहरा रहे थे।
वहीं इन अखाड़ों को देखने और नागा-साधुओं से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सड़कों के किनारे श्रद्धालुओं की भीड़ भी रही। प्रयागराज के मेडिकल कॉलेज चौराहे के पास से यह यात्रा निकाली गई है, जो करीबन 3 किमी की दूरी तय करके महाकुंभ मेले में पहुंची। इस पेशवाई को तुलसी पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य जी महाराज अग्रणी कर रहे है। दिगंबर अनि अखाड़े के महामंडलेश्वर सरयू दास महाराज जी ने बताया है कि तीनों अखाड़े के संत और साधुओं ने पूरे भक्तिभाव के साथ कुंभ के लिए प्रस्थान किया है। इस शोभायात्रा में तीनों अखाड़े के संत आगे धर्म ध्वजा लिए चल रहे है। साथ ही उन ध्वजा पर अखाड़े के ईष्ट हनुमानजी भी विराजमान है। अभी तक कुंभ के लिए 7 अखाड़ों की पेशवाई यानी शोभायात्रा निकल चुकी है, बाकी के 3 और अखाड़े आज कुंभ में प्रवेश कर रहे है। यानि आज की तारिक तक कुंभ में कुल 10 अखाड़ों की पेशवाई हो जाएगी और बाकी के मात्र 3 अखाड़ों की पेशवाई होना शेष रहेगी।
आज जिन अखाड़ों की पेशवाई है, उन तीनों ही अखाड़ों के संत भगवान विष्णु के अनुयायी है। इनमें से दिगंबर अनि अखाड़े की स्थापना आज से करीबन 600 साल पहले धर्म की रक्षा के लिए अयोध्या में की गई थी। वहीं निर्मोही और निर्वाणी अखाड़े दिगंबर अखाड़े के सहायक के रूप में होते है। इनमें अनि का मतलब समूह या छावनी होता है। इन अखाड़ों में 2 लाख से भी ज्यादा संत मौजूद है। कुंभ मेले को देवताओं की राक्षसों पर जीत का प्रतीक माना जाता है। ऐसा इसलिए क्यूंकि ऐसी मान्यता है कि, देवताओं और राक्षसों के बीच अमृत मंथन की लड़ाई हुई थी, वह 12 साल तक चली थी। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि, इस वर्ष कुंभ में करीबन 400 मिलियन यानि 40 करोड़ लोग शामिल होंगे। जिनमें अमेरिका, इज़राइल, फ्रांस जैसे अन्य देशों के प्रतिष्ठि लोग भी रहेंगे।
कुंभ शाही स्नान की महत्वपूर्ण तिथियां :
13 जनवरी 2025 : पौष पूर्णिमा
14 जनवरी 2025 : मकर संक्रांति
29 जनवरी 2025 : मौनी अमावस्या
3 फरवरी 2025 : बसंत पंचमी
12 फरवरी 2025 : माघी पूर्णिमा
26 फरवरी 2025 : महाशिवरात्रि