भोपाल: मध्य प्रदेश की शहरी व्यवस्था में बहुत जल्द ऐसे कई कड़े सुधार होने जा रहे हैं जिससे लोगों को कई समस्याओं से छुटकारा प्राप्त हो सकेगा। 3 बिलों के पास होते ही पालतू जानवरों को पालना सरल नहीं होगा। साथ ही लोग वाहन तभी खरीद सकेंगे जब उसे रखने की पर्याप्त जगह होगी। इसके अतिरिक्त फायर ऑफिसरों को मजिस्टीरिअल पॉवर देने की भी तैयारी है।
शहरी व्यवस्था में सुधार को लेकर निरंतर कोशिश की जा रही हैं ऐसे में अब मध्यप्रदेश की रंगत बदलने वाली है। शहरी व्यवस्था में सुधार के लिए सरकार 3 बड़े परिवर्तन करने जा रही है। नगरीय निकायों में विकास एवं व्यवस्था को लेकर सरकार कुछ बड़े फेरबदल करने जा रही है। लोकसभा चुनाव के बाद ऐसे कई सुधार होंगे जिससे शहर में रहने वालों का जीवन और सरल बनेगा। शहरों में लोग मवेशियों एवं सड़कों पर पार्किंग नहीं होने की वजह से परेशान हैं। इससे जहां सड़कों में चलने के लिए जगह नहीं बचती है वहीं हादसे की संभावना भी बढ़ जाती है। इधर आग लगने की घटनाएं और लिफ्ट को लेकर पॉलिसी नहीं होने से हादसे भी बढ़ रहे हैं। इससे सीख लेते हुए सरकार 3 बिलों को पेश करने वाली है। जिससे व्यवस्था में सुधार हो सके। इसके लिए ये तीन बिल पास होंगे।
मध्य प्रदेश नगर पालिका पशुओं का रजिस्ट्रेशन एवं नियंत्रण नियम 2022 के तहत सड़कों पर मवेशी घूमते नहीं मिलेंगे। नगर पालिका में पशुओं का रजिस्ट्रेशन एवं नियंत्रण नियम 2022 लागू होने से सडक़ों पर आवारा मवेशियों की संख्या कम होगी। पालतू जानवरों का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। अगर आपका पालतू जानवर किसी पर हमला करता है तो पालक को इसकी भरपाई करनी पड़ेगी। 3 बार से ज्यादा पालतू पशुओं की शिकायत मिलने पर मालिक से नगरीय निकाय बांड भखाएगे। अगर इसके पश्चात् भी कुत्ता-बिल्ली या अन्य जानवर किसी को काटते हैं या नुकसान पहुंचाते हैं तो उन्हें पशु मालिक से छुड़ाकर डाग शेल्टर होम या गौशाला भेजा जाएगा।
राज्य भर में भविष्य के लिए पार्किंग की व्यवस्था करने की रणनीति बनाई गई है। इसके तहत शहरों में जितनी महंगी जमीन होगी, उसी आधार पर पार्किंग शुल्क तय किया जाएगा। वाहन खरीदते वक़्त ग्राहक को उसके पास गाड़ी खड़ा करने के लिए पर्याप्त स्थान भी बताना होगा। यातायात व्यवस्था बाधित न हो इसके लिए पार्किंग स्थल के 75 मीटर के दायरे में कोई ऑटो एवं बस स्टॉप नहीं होगा। 100 वाहनों से ज्यादा के पार्किंग स्थल बनाने के लिए नगरीय निकायों को प्राधिकरण से अनुमति लेनी होगी। मध्य प्रदेश में फायर एक्ट लागू होने से आपातकाल की स्थिति में फायर ऑफिसर को मजिस्ट्रियल पावर मिल जाएंगे। वह आग के हादसे होने पर भीड़ को नियंत्रित करने, राहत एवं बचाव के लिए फैसले लेने में स्वतंत्र होगा। इसमें आग के हादसों से होने वाली हानि की क्षतिपूर्ति देने के साथ लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई करने का अधिकार भी होगा। वहीं हर जिले में अग्निशमन का अपना कार्यालय होगा, यहां विशेषज्ञ कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी। जनसंख्या के आधार पर राज्य में फायर स्टेशन बनेंगे।
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