कोई ना पूछे कैसे गुजरे वो बीते 30 दिन और कैसी रही वो बीती 30 रातें। हर जगह एक ही पैगाम, हर जगह एक ही तहलका, हर तरफ एक ही चर्चा नोट बैन, नोट बैन, नोट बैन। हर कोई परेशान था, हैरान था हर इंसान रो रहा था क्योंकि 1000-500 के नोट बैन हो गए थे, और बैंको और एटीएम में लंबी लाइन लग चुकी थी सब लोग पहुँच गए थे अपने नोट बदलवाने। लोगो को आज भी याद है वो 8 नवम्बर की रात। जब रात में 8 बजे मोदी ने कहा था की 12 बजे से 500 और 1000 के नोट नहीं चलेंगे, उस रात घरो में इतने तहलके हुए थे जितने तो पाकिस्तान और इंडिया के बॉर्डर पर भी नहीं होते होंगे।
लोगो के घरो में से डब्बो की आवाजे आने लगी लोग अपने सारे काले धन को खोद खोद कर निकालने लगे क्योंकि उन्हें अपना वो काला धन व्हाइट जो करवाना था। लोग कभी नही भूल पाएंगे 8 नवम्बर को। लोग आज भी डर रहे है की कहीं मोदी जी आज रात फिर से कुछ बन्द न कर दें। इस नोटबंदी के माहौल में लोगो का जीना हराम हो गया, कहीं शादियां रुक गई तो कहीं रिसेप्शन। कहीं लोग पागल हो गए तो कहीं किसी ने आत्महत्या कर ली। कहीं लोगो ने 500-1000 की नोट कचरे में फेंक दिए तो कहीं लोगो ने दान कर दिए।
बैंको की बात की जाए तो बैंक के कर्मचारियों की हालात सुबह एक बहुत ही अच्छे एक्टर की तरह होती थी और शाम होते होते वे लोग भी भूलभुलैया की मंजोलिका बन जाते थे। बैंक के कर्मचारियों को घर जाने की भी फुर्सत न रही। उन दिनों को याद कर हम आज भी सहम उठते है, क्योंकि हम नहीं चाहते की हमारी ज़िन्दगी में ऐसे दिन दोबारा आए।
लेकिन क्या आज 30 दिन बीतने के बाद भी हालात सुधर पाए है, आपको क्या लगता है हालात में कुछ सुधार आया है या नहीं ? अपने जवाब कमेंट बॉक्स में जरूर दीजिए।