हवन-पूजा कर 30 परिवार फिर से बने हिंदू, पादरी ने लालच दे बनाया था ईसाई

हवन-पूजा कर 30 परिवार फिर से बने हिंदू, पादरी ने लालच दे बनाया था ईसाई
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मेरठ: उत्तर प्रदेश के मेरठ से एक बड़ी खबर सामने आई है यहाँ 150 लोगों ने ईसाई धर्म से सनातन धर्म में वापसी की। 10 नवंबर को आयोजित एक कार्यक्रम में इन सभी लोगों की घर वापसी वैदिक रीति-रिवाज से करवाई गई। कुछ दिन पहले पास्टर बिज्जू मैथ्यू ने इन्हें लालच देकर ईसाई धर्म में धर्मांतरित किया था। गोलाबाढ़ गाँव के 30 परिवारों के सदस्य, जो नियमित रूप से प्रार्थना सभाओं में भाग लेते थे, ने अब सनातन धर्म अपना लिया है।

केरल के रहने वाले पास्टर बिज्जू मैथ्यू ने पुलिस पूछताछ में बताया कि उसने तकरीबन 300 परिवारों का धर्मांतरण कराया है। इस के चलते वह लोगों को नकद, शादी कराने, शिक्षा और उपचार का लालच देता था। वह अपने समूह के साथ आसपास के गाँवों में जाता और गरीब लोगों को विभिन्न प्रकार के प्रलोभन देता था, जिससे वे प्रार्थना सभाओं में सम्मिलित हों। बिज्जू और उसकी पत्नी गरीबों को धर्मांतरण के लिए यह लालच देते थे कि चर्च उनके बच्चों की शादी का खर्च उठाएगा, उन्हें नकद पैसे मिलेंगे तथा बीमारियाँ ठीक करने के लिए पवित्र जल और झाड़-फूँक का वादा किया जाता था। फिर धर्मांतरित व्यक्ति से कहा जाता था कि वह और लोगों को धर्मांतरण के लिए प्रेरित करें। यह सब एक नेटवर्क मार्केटिंग की भांति किया जा रहा था। 20 अक्टूबर को पास्टर बिज्जू को गिरफ्तार किया गया, तथा वह फिलहाल जेल में है।

यह मामला मेरठ के कंकरखेड़ा थाना क्षेत्र के रोहटा रोड स्थित विकास एनक्लेव कॉलोनी का है, जहां पादरी बिज्जू मैथ्यू अपने परिवार के साथ लगभग 2.5 महीनों से रह रहा था। वह हर रविवार को अपने घर पर प्रार्थना सभा आयोजित करता था, जिसमें बड़े आंकड़े में लोग सम्मिलित होते थे। इस गतिविधि को देखकर स्थानीय लोगों को संदेह हुआ, तथा उन्होंने इसकी सूचना पुलिस और हिंदू संगठनों को दी थी। हिंदू संगठनों ने 20 अक्टूबर को जब उसके घर पर छापा मारा, तब वह प्रार्थना सभा में आए लोगों से कह रहा था, “जो तुमसे प्यार करे, उसे प्यार करो। आज करवाचौथ का दिन है, मगर परिवार तुमसे प्यार नहीं करता, परमेश्वर करता है, इसलिए परमेश्वर की शरण में आओ। तुम्हें यीशु की पूजा करनी है। पैसा क्या चीज है? जो तुम चाहोगे, वह सब मिलेगा। तुम्हारे देवता क्या दे पाए आज तक?”

बिज्जू ने विशेषकर जाटव समाज के लोगों को भड़काते हुए कहा, “समाज में तुम्हें इज्जत तक नहीं मिलती। यीशु की शरण में चले आओ, यहाँ सब कुछ मिलेगा।” हिंदू संगठनों ने आरोप लगाया कि बिज्जू और उसकी पत्नी बीते 15 वर्षों से मेरठ के विभिन्न इलाकों में किराए के मकानों में रहकर प्रार्थना सभाएँ आयोजित कर रहे थे तथा लोगों का धर्मांतरण करवा रहे थे। ईसाई धर्म में धर्मांतरण के लिए बिज्जू तीन प्रमुख लालच देता था: पहला, धर्मांतरण करने वाले परिवार के लड़के या लड़की की शादी का खर्च चर्च उठाएगा; दूसरा, धर्मांतरण करने वाले परिवार को रोजगार आरम्भ करने के लिए 2 से 5 लाख रुपए तक की मदद दी जाएगी; तथा तीसरा, बीमारियों को ठीक करने के लिए पवित्र जल और झाड़-फूँक का वादा किया जाता था।

धर्मांतरण करने वाली एक महिला ने बताया, “हमें कहा जाता था कि जो कुछ भी हम सीखते हैं, उसे हमें दो और लोगों को सिखाना है, जिससे वे भी परमेश्वर की कृपा और उसके चमत्कारों के बारे में जान सकें।” इस प्रकार से एक नेटवर्क बनता चला जाता था, जिसमें एक व्यक्ति धर्मांतरण के पश्चात् दूसरे को इसके लिए प्रेरित करता था। इन धर्मांतरण गतिविधियों का मुख्य ध्यान गरीबों और महिलाओं पर था।

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