लखनऊ: देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में एक कहावत कही जाती है, 'हाथ न गोड़, पहाड़ चढ़े जात हैं. वही राज्य के रेवेन्यू डिपार्टमेंट का कामकाज कुछ इसी अंदाज में चल रहा है. इस डिपार्टमेंट में लगभग 24 से ज्यादा सेवा संवर्ग हैं. इनमें फील्ड में आम लोगों की मदद, सहूलियत से जुड़े अधिकतर संवर्गों के एक तिहाई से दो तिहाई तक पद रिक्त हैं. कई सेवा समूहों के सभी पद रिक्त हो गए हैं. पर इन खाली पदों को भरने की कार्यवाही लालफीताशाही में उलझ कर रह गई है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, रेवेन्यू डिपार्टमेंट में सामूहिक तौर पर 95,621 पद सृजित हैं. इनमें समूह ‘क’ के 1,004, समूह ‘ख’ के 1,116, समूह ‘ग’ के 67,524 और समूह ‘घ’ के 25,977 पद हैं. इनमें से समूह क, ख, ग व घ के खाली पदों को मिला लें, तो लगभग 30 हजार पद रिक्त हैं. रेवेन्यू एडमिनिस्ट्रेशन में नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक, सहायक चकबंदी अधिकारी, लेखपाल, अमीन, सर्वे कानूनगो, एडमिनिस्ट्रेशन ऑफिसर्स, लिपिक, चैनमैन, चकबंदीकर्ता, जरीबमैन जैसे संवर्गों में बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं.
वही ये पद भरे जाएं, तो बेरोजगार युवाओं को उनकी योग्यता के अनुसार नौकरियों के मौके प्राप्त हो सकते हैं. काम के बोझ से दबे और छोटी-छोटी बात पर कार्यवाही का सामना कर रहे तनावग्रस्त फील्ड कर्मचारियों को तभी कुछ राहत भी मिल सकती है. किन्तु खाली पदों को भरने के लिए सीधी भर्ती से पदोन्नति तक की फाइलें लालफीताशाही की शिकार हैं. डिपार्टमेंट्स से जुड़े कर्मी बताते हैं कि रेवेन्यू एडमिनिस्ट्रेशन का कामकाज निरन्तर बढ़ रहा है. राजस्व क्षेत्रों में जनसंख्या और विवाद बढ़ रहे हैं. उनके समाधान के लिए दबाव का दायरा भी बढ़ता जा रहा है. साथ ही इस पर एक्शन लेना बेहद ही आवश्यक है.
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