नई दिल्ली: देश में कोरोना के हालात दिनों दिन बदतर होते जा रहे हैं. बीते कुछ दिनों से हालात इतने विस्फोटक हो गए हैं कि साढ़े तीन लाख से अधिक नए केस दर्ज किए जा रहे हैं. अब केवल मामलों में वृद्धि नहीं देखी जा रही है, बल्कि कई राज्यों में वायरस के खतरनाक वैरिएंट भी देखने को मिले हैं. फिर चाहे वो डबल म्यूटेंट हों या फिर बंगाल का ट्रिपल म्यूटेंट. स्थिति की नजाकत को समझते हुए देश के 300 वैज्ञानिकों ने पीएम मोदी को पत्र लिखा है.
पत्र के माध्यम से पीएम मोदी से अपील की गई है कि देश के वैज्ञानिकों को सभी तरह का डेटा अध्ययन करने की इजाजत मिले, जिससे वायरस को और अच्छे से समझा जा सके और वक़्त रहते कुछ आवश्यक कदम उठा लिए जाएं. अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर शशिधरा और कोलकाता के NIBMG में वैज्ञानिक प्रोफेसर प्राथो मजूमदार ने इस पत्र को ड्राफ्ट किया है. शशिधरा ने जोर देते हुए कहा है कि देश में कोरोना की स्थिति बिगड़ती जा रही है और यदि वक़्त रहते जरूरी कदम नहीं उठाए गए, तो हालात बेकाबू हो जाएंगे. उन्होंने बताया है कि वैज्ञानिकों को अब हर प्रकार का डाटा इस्तेमाल करने की अनुमति मिलनी चाहिए. ऐसा होते ही इस महामारी से और कारगर तरीके से लड़ा जा सकेगा और कई तरह के कदम पहले से ही उठा लिए जाएंगे.
पत्र में इस बात पर भी चिंता व्यक्त की गई है कि देश में कोरोना के केस बहुत तेजी से बढ़े हैं. कई सरकारी आंकड़े बताते हैं कि वर्तमान में जो एक्टिव केस नजर आ रहे हैं, असल में उससे 20 गुना अधिक केस सामने आ चुके हैं. ऐसे में कई लोग ना केवल इस वायरस को फैला रहे हैं बल्कि समाज में सुपर स्प्रेडर की भूमिका निभा रहे हैं. ऐसे में वैज्ञानिक मानते हैं कि यदि वक़्त रहते सटीक भविष्यवाणी कर दी जाए, तो सरकार कई आवश्यक कदम उठा सकती है और लोगों की जान भी बच सकती है.
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