काबुल: अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों के निकलने की वहां आतंकी संगठन तालिबान ने कब्जा कर लिया. इसे पाकिस्तान अपने फायदे के रूप में देख रहा था, मगर हुआ इसके एकदम विपरीत. तालिबान के सत्ता कब्जाते ही पाकिस्तान में घातक आतंकी हमलों में भयंकर वृद्धि हुई है. यहां विगत चार वर्षों में सबसे अधिक हमले हुए हैं. इससे क्षेत्र की सुरक्षा पर गहराते संकट को लेकर चिंता ज जा रही है. क्योंकि आतंकियों के पनपने से व्यापार और निवेश को काफी नुकसान होना तय है.
साउथ एशिया टेररिजम पोर्टल (SATP) के आंकड़ों से पता चला है कि पाकिस्तान में अगस्त माह में 35 आतंकी हमले हुए हैं, जिसमें कम से कम 52 लोगों की जान गई है. ये तादाद फरवरी 2017 के बाद सबसे ज्यादा है. अधिकतर आतंकी हमले करने का आरोप तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान पर लगा है, जो अफगान-पाकिस्तान की बॉर्डर पर सक्रिय है. रिसर्च में पता चला है कि युद्धग्रस्त अफगानिस्तान से अमेरिकी फ़ौज के हटने और तालिबान के काबुल पर कब्जा करने के बाद पाकिस्तान में घातक आतंकी हमले चार साल से ज्यादा समय में अपने सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गए हैं.
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से पाकिस्तान खुश भी है और चिंतित भी, क्योंकि उसके देश में हो रहे आतंकी हमलों से निवेश को नुकसान पहुंच सकता है, जिसमें चीन का वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट भी शामिल है, जिसमें बिजली संयंत्रों और सड़क परियोजनाओं के लिए 25 बिलियन डॉलर का निवेश किया गया है. पाकिस्तान, जुलाई में बस में हुए बम ब्लास्ट के बाद से चीन के दबाव का सामना कर रहा है. जिसमें नौ चीनी कर्मियों समेत 12 लोगों की जान चली गई थी. बीजिंग ने इमरान खान की सरकार से कहा है कि उसके प्रोजेक्ट्स और कर्मियों की सुरक्षा बढ़ाई जाए.
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