35 साल पहले मिट्टी का टीला था, पहले मजार बनी, फिर मस्जिद, अब विवाद शुरू..!

35 साल पहले मिट्टी का टीला था, पहले मजार बनी, फिर मस्जिद, अब विवाद शुरू..!
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वाराणसी: बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी के प्रतिष्ठित उदय प्रताप कॉलेज (यूपी कॉलेज) में मस्जिद को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। छात्रों के प्रदर्शन, वक्फ बोर्ड की दावेदारी, और प्रशासनिक हस्तक्षेप ने इस मामले को राष्ट्रीय चर्चा का विषय बना दिया है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब कॉलेज के 115वें स्थापना दिवस पर 2018 का एक पुराना नोटिस वायरल हुआ, जिससे छात्रों और प्रबंधन के बीच तनाव बढ़ गया।

2018 में उत्तर प्रदेश सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कॉलेज प्रबंधन को नोटिस देकर मस्जिद को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज करने की मांग की थी। कॉलेज ने इस दावे को खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि मस्जिद कॉलेज ट्रस्ट की जमीन पर बनी है। 2021 में वक्फ बोर्ड ने इस दावे को छोड़ दिया था। लेकिन 25 नवंबर 2024 को पुराना नोटिस वायरल होने के बाद तनाव पैदा हो गया। छात्रों ने मस्जिद में नमाज के दौरान हनुमान चालीसा का पाठ किया, जिससे विवाद और बढ़ गया। 6 दिसंबर को करीब 300 छात्रों ने कॉलेज गेट के बाहर भगवा झंडे लेकर प्रदर्शन किया और ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि मस्जिद अवैध है और इसे हटाया जाना चाहिए। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की और बाहरी छात्रों की एंट्री पर रोक लगा दी। 

कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर डी.के. सिंह ने बताया कि 35 साल पहले यहाँ केवल एक मिट्टी का टीला था, जिसे बाद में मजार और फिर मस्जिद में बदल दिया गया। उन्होंने कहा कि यह निर्माण अवैध है और कॉलेज की बिजली लाइन का उपयोग मस्जिद के लिए किया जा रहा था, जिसे काट दिया गया है। छात्रों ने कहा कि अगर मस्जिद में नमाज हो सकती है, तो उन्हें हनुमान चालीसा पढ़ने की अनुमति मिलनी चाहिए। छात्र नेता विवेकानंद सिंह ने कहा कि मस्जिद वक्फ बोर्ड की संपत्ति नहीं है और इसे हटाया जाना चाहिए। प्रबंधन ने आरोप लगाया कि मस्जिद में बाहरी लोग आते हैं, जिससे परिसर की सुरक्षा पर खतरा है।

1909 में राजा राजर्षि उदय प्रताप सिंह जूदेव ने इस कॉलेज की स्थापना की थी। 500 एकड़ में फैले इस संस्थान ने शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया है। वर्तमान में यहाँ लगभग 20,000 छात्र पढ़ते हैं। कॉलेज का दावा है कि मस्जिद का निर्माण अवैध रूप से हुआ है। स्थानीय प्रशासन ने विवाद को शांत करने के लिए सुरक्षा कड़ी कर दी है। पुलिस ने मस्जिद के सामने हनुमान चालीसा पढ़ने वाले सात छात्रों को हिरासत में लिया। 

वहीं, वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफर फारूकी ने कहा कि 2018 का नोटिस 2021 में रद्द कर दिया गया था और इस मस्जिद पर वक्फ बोर्ड का कोई दावा नहीं है। वक्फ अधिनियम 1995 के तहत संपत्ति को वक्फ में पंजीकृत करने के लिए प्रमाण होने चाहिए। कॉलेज प्रशासन का कहना है कि खसरा-खतौनी में मस्जिद का कोई रिकॉर्ड नहीं है। यह विवाद कानूनी, सामाजिक, और धार्मिक पहलुओं को उजागर करता है। दोनों पक्ष अपने-अपने रुख पर अड़े हुए हैं, और फिलहाल विवाद सुलझने के बजाय और गहराता जा रहा है। प्रशासन ने परिसर में शांति बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाए हैं।

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