मरने से पहले भीष्म ने युधिष्ठिर को बताई थीं ये 36 बातें, जानिए आप भी

मरने से पहले भीष्म ने युधिष्ठिर को बताई थीं ये 36 बातें, जानिए आप भी
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आप सभी ने महाभारत पढ़ी, सुनी या देखी ही होगी. महाभारत के युद्ध में जब भीष्म पितामह वाणों की शय्या पर लेटे थे तब देह त्यागने से पहले उन्होंने युधिष्ठर को 36 बातें बताई. जी हाँ, आप सभी को बता दें कि एक राजा में क्या-क्या गुण होने चाहिए, महाभारत में इसके बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है. केवल इतना ही नहीं बल्कि राजा के गुणों के बारे में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को कुछ अहम नियम बताए और भीष्म पितामह ने युधिष्ठर से कहा कि ''राजा को इन 36 गुणों के बारे में जानना चाहिए. इन गुणों को अपना कर ही राजा श्रेष्ठ और प्रतापी बन सकता है.'' अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं इन गुणों के बारे में.

1- शूरवीर बने, किंतु बढ़चढ़कर बातें नहीं बताना चाहिए.

2- स्त्रियों का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए.

3- किसी से ईष्र्या न करे और स्त्रियों की रक्षा करनी चाहिए.

4- जिन्होंने अपकार (अनुचित व्यवहार) किया हो, उनके प्रति कोमलता का बर्ताव नहीं करना चाहिए.

5- क्रूरता (जबर्दस्ती या अधिक कर लगाकर) का आश्रय लिए बिना ही अर्थ (धन) संग्रह करना चाहिए.

6- अपनी मर्यादा में रहते हुए ही सुखों का उपभोग करना चाहिए.

7- दीनता न लाते हुए ही प्रिय भाषण करना चाहिए.

8- स्पष्ट व्यवहार करे पर कठोरता न आने दे.

9- दुष्टों के साथ मेल नहीं करना चाहिए.

10- बंधुओं से कलह नहीं करना चाहिए.

11- जो राजभक्त न हो ऐसे दूत से काम नहीं लेना चाहिए.

12- किसी को कष्ट पहुंचाए बिना ही अपना कार्य करना चाहिए.

13- दुष्टों से अपनी बात नहीं कहना चाहिए.

14- अपने गुणों का वर्णन नहीं करना चाहिए.

15- साधुओं का धन न छीने.

16- धर्म का आचरण करे, लेकिन व्यवहार में कटुता न आने दे.

17- आस्तिक रहते हुए दूसरों के साथ प्रेम का बर्ताव न छोड़े.

18- दान दे परंतु अपात्र (अयोग्य) को नहीं.

19- लोभियों को धन नहीं देना चाहिए.

20- जिन्होंने कभी अपकार (अनुचित व्यवहार) किया हो, उन पर विश्वास नहीं करना चाहिए.

21- शुद्ध रहे और किसी से घृणा नहीं करना चाहिए.

22- नीच व्यक्तियों का आश्रय नहीं लेना चाहिए.

23- अच्छी तरह जांच-पड़ताल किए बिना किसी को दंड नहीं देना चाहिए.

24- गुप्त मंत्रणा (बात या राज) को प्रकट (किसी को न बताए) नहीं करना चाहिए.

25- आदरणीय लोगों का बिना अभिमान किए सम्मान करना चाहिए.

26- गुरु की निष्कपट भाव से सेवा करना चाहिए.

27- बिना घमंड के भगवान का पूजन करना चाहिए.

28- अनिंदित (जिसकी कोई बुराई न करे, ऐसा काम) उपाय से लक्ष्मी (धन) प्राप्त करने की इच्छा रखे.

29- बिना जाने किसी पर प्रहार नहीं करना चाहिए.

30- कार्यकुशल हो, किंतु अवसर का विचार रखे.

31- केवल पिंड छुड़ाने के लिए किसी से चिकनी-चुपड़ी बातें नहीं करना चाहिए.

32- किसी पर कृपा करते समय आक्षेप (दोष) न करे.

33- स्नेह पूर्वक बड़ों की सेवा करना चाहिए.

34- शत्रुओं को मारकर शोक नहीं करना चाहिए.

35- अचानक क्रोध न करे.

36- स्वादिष्ट होने पर भी अहितकर (शरीर को रोगी बनाने वाला) हो, उसे न खाए.

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