प्रत्येक वर्ष चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. पापमोचनी एकादशी के दिन प्रभु श्री विष्णु की पूजा करते हैं तथा व्रत रखते हैं. इस व्रत को करने से इंसान को कई जन्मों के पापों से मुक्ति प्राप्त होती है. पापमोचनी एकादशी की पौराणिक कथा में बताया गया है कि अप्सरा मंजुघोषा ने पापमोचनी एकादशी का व्रत करके पिशाच योनि से मुक्ति पाई. उसे अपने पापों से मुक्ति प्राप्त हुई थी. प्रभु श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को पापमोचनी एकादशी व्रत की अहमियत को समझाते हुए कथा भी सुनाई थी. हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 17 मार्च दिन शुक्रवार को दोपहर 02 बजकर 06 मिनट से आरम्भ हो रही है तथा यह तिथि 18 मार्च दिन शनिवार को प्रातः 11 बजकर 13 मिनट तक मान्य रहेगी.
पापमोचनी एकादशी पर बने हैं 4 शुभ योग:-
पापमोचनी एकादशी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सहित 4 शुभ योग बने हैं. इस दिन शिव योग प्रात:काल से लेकर रात 11 बजकर 54 मिनट तक है, उसके बाद से सिद्ध योग प्रारंभ होगा. सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात: 06 बजकर 28 मिनट से देर रात 12 बजकर 29 मिनट तक है. द्विपुष्कर योग देर रात 12 बजकर 29 मिनट से अगले दिन 19 मार्च को प्रातः 06 बजकर 27 मिनट तक है.
पापमोचनी एकादशी 2023 पारण समय:-
जो लोग 18 मार्च को पापमोचनी एकादशी का व्रत रखेंगे, वे अगले दिन 19 मार्च रविवार को पापमोचनी एकादशी व्रत का पारण करेंगे. व्रत पारण का समय सुबह 06 बजकर 27 मिनट से सुबह 08 बजकर 07 मिनट तक है. 19 मार्च को द्वादशी तिथि का समापन सुबह 08 बजकर 07 मिनट पर होगा.
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