नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को दिल्ली में इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) के पहले स्थापना दिवस समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने चार प्रमुख साइबर प्लेटफॉर्म्स की शुरुआत की: सस्पेक्ट रजिस्ट्री, साइबर कमांडो, साइबर फ्रॉड मिटिगेशन सेंटर (CFMC) और समन्वय प्लेटफॉर्म।
अपने संबोधन में अमित शाह ने साइबर सुरक्षा के महत्व पर जोर दिया और कहा कि साइबर अपराध की कोई सीमा नहीं होती। उन्होंने सभी हितधारकों से इस समस्या से निपटने में सहयोग की अपील की। उन्होंने घोषणा की कि सरकार अगले पांच वर्षों में 5000 'साइबर कमांडो' को ट्रेनिंग देगी। उनका कहना था कि साइबर सुरक्षा के बिना देश का विकास असंभव है और प्रौद्योगिकी के लाभ के साथ-साथ इसके खतरों को भी समझना होगा।
अमित शाह ने राष्ट्रीय स्तर पर एक सस्पेक्ट रजिस्ट्री बनाने की आवश्यकता भी बताई, जिसमें सभी राज्यों को शामिल किया जाएगा। उन्होंने 10 सितंबर से एक राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान शुरू करने की घोषणा की, जिसमें I4C एफएम रेडियो और अन्य प्लेटफॉर्मों का उपयोग करेगा। उन्होंने 1930 नंबर की लोकप्रियता को बढ़ाने की अपील की और राज्य सरकारों को भी इस अभियान में शामिल होने के लिए कहा।
उन्होंने I4C की सराहना की, जिसने 600 से अधिक एडवाइजरी जारी की हैं और साइबर अपराधियों द्वारा उपयोग की जाने वाली वेबसाइटों, सोशल मीडिया पेजों, मोबाइल ऐप्स और अकाउंट्स को ब्लॉक करने के प्रयास किए हैं। I4C की स्थापना 5 अक्टूबर, 2018 को गृह मंत्रालय के साइबर और सूचना सुरक्षा प्रभाग (CIS डिवीजन) के तहत की गई थी, जिसका उद्देश्य देश भर में साइबर अपराध से संबंधित समस्याओं का समाधान करना है।
चार प्रमुख साइबर प्लेटफॉर्म्स के कार्य:
साइबर फ्रॉड मिटिगेशन सेंटर: यह सेंटर सभी राज्यों के 1930 कंट्रोल रूम से जुड़ा होगा और हाई प्रायोरिटी केस की मॉनिटरिंग करेगा।
समन्वय पोर्टल: यह पोर्टल फर्जी कार्ड और अकाउंट्स, साइबर क्राइम रोकथाम, अपराध के विश्लेषण और जांच में सहयोग का काम करेगा। इसके माध्यम से CCTV फुटेज की रिक्वेस्ट भी की जा सकेगी और तकनीकी तथा कानूनी मदद भी प्रदान की जाएगी।
साइबर कमांडो प्रोग्राम: यह प्रोग्राम डिजिटल भारत के प्रहरी के रूप में काम करेगा, जिसमें पैरा मिलिट्री फोर्स और स्टेट पुलिस के जवानों को साइबर सिक्योरिटी की ट्रेनिंग दी जाएगी। प्रशिक्षण देश के प्रमुख संस्थानों जैसे IIT, राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (RRU) और राष्ट्रीय फोरेंसिक साइंस विश्वविद्यालय (NFSU) में होगा।
सस्पेक्ट रजिस्ट्रेशन: इस प्लेटफॉर्म के तहत संदिग्ध बैंक खातों का डेटाबेस बैंकों और वित्तीय संस्थानों के साथ साझा किया जाएगा, जिससे संदिग्ध खातों को ट्रैक करने में आसानी होगी।
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