जबलपुर: प्रदेश भर की जेलों में कैदियों को कोविड संक्रमण के बीच ट्रांसफर करने से रोक जारी कर दी गई है, ताकि किसी भी जेल में कोविड न फैल सके, लेकिन बीच में कैदियों के तबादलों की ऐसी प्रक्रिया जारी हुई कि जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस केंद्रीय जेल में 600 से अधिक कैदियों को प्रदेश की दूसरी जेलों से ट्रांसफर कर भेजा जाने लगा है। इस बीच इन कैदियों में कोविड के लक्षणों की जाँच भी की गई थी, लेकिन कैदी स्वस्थ नज़र आ रहे थे। बीते दिनों जब छोटी गोल में बंद कुछ कैदियों को सर्दी-खाँसी के लक्षण नज़र आए तो जाँच हुई तो हंगामा शुरू हो गया। एक के बाद एक रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई। 40 से ज्यादा कैदी संक्रमित हो गए हैं, जिनको आनन-फानन में अन्य कैदियों से अलग कर दिया गया, लेकिन जैसे ही यह बात जेल की अन्य कारागार में बंद कैदियों के मध्य पहुँची तो वे सहम गए।
जंहा इस बात का पता चला है कि 10 हजार व्यक्तियों का जेल में आना जाना हुआ: बीते 6 महीनों के भीतर कोरोना काल में तकरीबन 10 हजार से अधिक व्यक्तिओं का आना-जाना हुआ, क्योंकि जेल प्रबंधन ने हर दिन आने-जाने वाले लोगों का डाटा जुटाया तो सामने आया है कि 10 हजार से ज्यादा व्यक्तियों का जेल में आना-जाना हुआ था तब कोविड नहीं था, लेकिन अगस्त महीने में कोविड का मरीज पाया गया।
डिप्टी जेलर-प्रहरी भी पॉजिटिव: एक तरफ कैदी कोविड पॉजिटिव हैं दूसरी ओर एक डिप्टी जेलर और 3 जेल प्रहरियों को भी कोविड संक्रमित पाया गया है। एक सप्ताह में 40 से अधिक व्यक्तियों को कोविड-19 पॉजिटिव पाए जाने के उपरांत जेल में हर कोई अपने स्वास्थ्य को लेकर परेशान हो गया है, जबकि जेल के अंदर 50 अस्थायी कारागार तक बनाई गई थीं, ताकि जिनको लक्षण दिखे उनको अलग रखा जा सके, लेकिन सारी कवायद एक हप्ते के अंदर हुए कोविड विस्फोट में विफल साबित हो गई है। वहीं रिपोर्ट आने में हो रही देरी की वजह भी जेल के अंदर समस्याओं का सामना कर रहे है.
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