धार: भोपाल गैस कांड के बारे में लगभग हर देशवासी ने सुन रखा होगा। 2-3 दिसंबर 1984 को भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी के कारखाने से एक जरहरीली गैस लीक हुई, जिसने हज़ारों लोगों को मौत की नींद सुला दिया। लगभग 15000 लोगों ने इस जहरीली गैस के कारण अपनी जान गंवा दी थी और 25000 से अधिक प्रभावित हुए, लेकिन सबसे बड़ी हैरानी की बात ये रही कि इस त्रासदी का एक भी गुनहगार नहीं पकड़ा गया। इस कंपनी का मालिक वारेन एंडरसन, तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी का दोस्त था और उस समय मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस की ही सरकार थी।
बताया जाता है कि, राजीव गांधी के आदेश पर ही MP के तत्कालीन सीएम अर्जुन सिंह ने फ़ौरन एंडरसन को चोरी-छिपे दिल्ली के लिए रवाना कर दिया। जहाँ राजीव ने पहले ही एंडरसन के भागने की व्यवस्था कर रखी थी, एंडरसन दिल्ली से विशेष विमान के जरिए अमेरिका भाग गया और फिर कभी नहीं लौटा। और इस तरह से हज़ारों लोगों की मौत का गुनाहगार खुद भी साफ़ बच निकला और उसको बचाने वाली कांग्रेस भी पाक-साफ़ बनी रही। ना तो किसी मीडिया घराने की कांग्रेस से इस संबंध में सवाल करने की हिम्मत हुई और ना कांग्रेस ने खुद जवाब देने की जहमत उठाई, हाँ, सरकारी आंकड़ों में मौतें जरूर कम कर दी। लेकिन वही कांग्रेस अब भोपाल के यूनियन कार्बाइड का मुद्दा बनाकर मध्य प्रदेश सरकार को घेरने में लगी हुई है।
दरअसल, अब मध्य प्रदेश में मोहन यादव के नेतृत्व में भाजपा का शासन है, जिसने ये फैसला लिया था कि 40 साल बाद अब आखिरकार यूनियन कार्बाइड के कचरे को नष्ट कर दिया जाना चाहिए, जिससे आगे कोई समस्या पैदा होने की स्थिति ना बने। इससे पहले मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने तीन दिसंबर को इस कारखाने के जहरीले कचरे को स्थानांतरित करने के लिए सरकार को चार हफ्तों की मोहलत दी थी और आगाह किया था कि यदि उसके निर्देश का पालन नहीं किया गया, तो अवमानना की कार्यवाही होगी। ऐसे में सरकार ने धार जिले के अंतर्गत आने वाले औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर में इसके निस्तारण का फैसला किया, लेकिन ये फैसला मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और कुछ अन्य लोगों को पसंद नहीं आया और इसपर सियासी बवाल मचने लगा। सियासी आरोप लगाकर भीड़ जुटा ली गई और पीथमपुर बंद का ऐलान कर दिया गया।
दरअसल, भोपाल गैस कांड के 40 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद यूनियन कार्बाइड कारखाने का 337 टन जहरीला कचरा गुरुवार (2 जनवरी) तड़के इंदौर के पास स्थित पीथमपुर की एक औद्योगिक अपशिष्ट निपटान इकाई में पहुंचाया गया था। इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए थे और ग्रीन कॉरिडोर बनाकर जहरीले अपशिष्ट को 12 सीलबंद कंटेनर ट्रकों में भोपाल से 250 किलोमीटर दूर धार जिले के पीथमपुर लाया गया था। एक प्राइवेट कंपनी द्वारा संचालित इस यूनिट के आस-पास बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया, ताकि आम जान को कोई समस्या ना हो। लेकिन, स्थानीय नागरिक समूहों और कुछ नेताओं ने यूनियन कार्बाइड कारखाने के जहरीले कचरे को पीथमपुर में निस्तारित नहीं किए जाने की मांग को लेकर इस औद्योगिक कस्बे में विरोध प्रदर्शन जारी रखने का ऐलान किया है, जिसे भारी समर्थन मिल रहा है। भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के विधायक (सैलाना) कमलेश डोडियार भी मौके पर पहुँच गए हैं और मंच संभाल लिया है, वहीं कुछ स्थानीय कांग्रेस नेता भी मौके पर मौजूद हैं और सरकार पर निशाना साध रहे हैं।
इस विरोध के बीच एक अनहोनी घटना भी हुई, विरोध में शामिल दो युवकों ने अपने आप पर पेट्रोल डालकर आग लगा ली, जिन्हे इंदौर के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। प्रदर्शनकारियों को तीतर बितर करने के लिए पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज पर कांग्रेस ने मोहन सरकार को आड़े हाथों लिया है। भोपाल गैस कांड के आरोपी एंडरसन को छोड़ देने वाली कांग्रेस ने सवाल किया है कि, ''क्या मध्यप्रदेश में लोकतंत्र शेष है या नहीं ? पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का जहरीले कचरा जलाने का विरोध करने पर लाठी, #MPPSC के खिलाफ आंदोलन पर युवाओं को जेल। इस सरकार ने विरोध को केवल दमन करना सीख लिया है! मोहन सरकार के अराजक राज में हक अधिकार की बात करना दुश्वार है!''
एक अन्य ट्वीट में MP कांग्रेस ने लिखा है कि, ''जहरीले कचरे को जलाने का विरोध अब जानलेवा होने को है! आंदोलन कर रहे लोग अपनी जान देकर भी हजारों लोगों की जान बचाने का संघर्ष करने को तैयार हैं। मगर सरकार हिटलर शाही पूर्वक यह कचरा पीथमपुर में जलाने पर आमादा है!'' हालाँकि, इस मामले में सरकार का कहना है कि, अब वो कचरा हानिकारक नहीं है और जनता को उससे कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। राज्य के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने कहा है कि सरकार ने पहले ही बता दिया था कि कचरा अब हानिकारक नहीं है और घटना के इतने सालों बाद इसका असर ख़त्म हो चुका है। अब पीथमपुर में कचरे को जलाने से कोई हानि नहीं होने वाली है, इसलिए लोगों को घबराने की आवश्यकता नहीं है। कांग्रेस यूनियन कार्बाइड के नाम पर सियासत कर रही है। वहीं, सूबे के गैस राहत और पुनर्वास विभाग के निदेशक स्वतंत्र कुमार सिंह का कहना है कि शुरुआत में कचरे का कुछ हिस्सा जलाया जाएगा, और उसके बाद उत्पन्न ठोस अवशेष (राख) की वैज्ञानिक जांच कराई जाएगी। इसके जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इसमें कोई हानिकारक तत्व तो नहीं बचा है।
उन्होंने बताया कि, कचरे के जलने से निकलने वाले धुएं को चार स्तरों वाले विशेष फिल्टर से गुजारा जाएगा ताकि आसपास की हवा में कोई रसायन ना फैले और हवा प्रदूषित न हो। पूरी प्रक्रिया का पल-पल का रिकॉर्ड रखा जाएगा। जब कचरा पूर्णतः भस्म हो जाएगा और उसमें से हानिकारक तत्व समाप्त हो जाएंगे, तो उसकी राख को दो परतों वाली मजबूत झिल्ली (मेम्ब्रेन) से ढककर सुरक्षित रूप से 'लैंडफिल साइट' में दफना कर दिया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि यह राख मिट्टी या पानी के संपर्क में न आए।
उन्होंने ये भी बताया कि, इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के साथ विशेषज्ञों की एक टीम करेगी। कुछ स्थानीय कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि 2015 में जब पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के 10 टन कचरे का परीक्षण निपटान किया गया था, तो इससे आसपास के गांवों की मिट्टी और जल स्रोत प्रदूषित हो गए थे। हालांकि, इन दावों को स्वतंत्र कुमार सिंह ने खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि 2015 के परीक्षण की रिपोर्ट और सभी आपत्तियों की पूरी जांच के बाद ही पीथमपुर में इस कचरे को नष्ट करने का फैसला लिया गया है। उन्होंने लोगों को आश्वस्त किया कि चिंता की कोई बात नहीं है, और यह प्रक्रिया पूरी तरह से वैज्ञानिक और सुरक्षित होगी। हालाँकि, अब भी पीथमपुर में विरोध जारी है और कांग्रेस समेत स्थानीय जनता भी इस फैसले के खिलाफ है। वहीं, दो युवक आत्मदाह करने की कोशिश में बुरी तरह झुलस गए हैं, जो इलाज ले रहे हैं। 40 साल पहले हज़ारों लोगों की जान लेने वाला यूनियन कार्बाइड एक बार फिर खतरा बनकर लोगों के सर पर मंडरा रहा है।