चंडीगढ़: पंजाब में बैंक के क़र्ज़ के ज़हर ने पिछले 24 घंटों में फिर 5 अन्नतदाताओं का जीवन छीन लिया, पंजाब के भटिंडा के चार और संगरूर के एक किसान ने पिछले 24 घंटे में कर्ज के बोझ के चलते आत्महत्या करके अपनी जीवन-लीला समाप्त कर ली. यह तस्वीर उस क्षेत्र कि है जहाँ की सरकार आए दिन किसानों की ऋण माफ़ी और उनके उत्थान के लिए दावे करती रहती है, लेकिन पिछले 24 घंटों में हुई इन मार्मिक घटनाओं ने सरकार के दावों की पोल खोल दी है.
इन सभी किसानों की कहानी लगभग एक जैसी ही है, सभी पर बैंक कर्ज की मार पड़ी थी, जिस कारण उन्होंने आत्महत्या कर ली. भटिंडा के किसान परनजीत के पास 4 एकड़ जमीन थी, लेकिन बैंक का कर्ज करीब 6 लाख तक पहुँच गया था, भठिंडा के ही गांव दयालपुरा मिर्जा पर भी इतना ही क़र्ज़ था. इसी क्षेत्र के जोगराज सिंह के पास 2 एकड़ ज़मीन थी और उनपर 3 लाख रु क़र्ज़ था, लेकिन पंजाब सरकार द्वारा क़र्ज़ माफ़ी के रूप में उन्हें मात्र 18 हज़ार रुपए दिए गए थे. इन तीनों किसानों ने ज़हर पीकर आत्महत्या की, जबकि संग्ररूर के गांव गुरने कलां के किसान रामफल के पास 2 एकड़ ज़मीन थी, लेकिन आढ़तियों और बैंक का कर्ज़ा 20 लाख तक पहुँच गया था, जिसके चलते उन्होंने ट्रेन के नीचे आकर जान दे दी.
इस तरह से पंजाब में कुल 5 किसानों ने क़र्ज़ के दलदल में फंसकर अपने प्राण त्याग दिए हैं, लेकिन पंजाब सरकार के पास इन अन्नदाताओं की मौत पर सहानुभूति जताने का भी वक़्त नहीं है. वो भला इनपर ध्यान क्यों देगी, उसे तो 28 मई को होने वाले विधानसभा क्षेत्र शाहकोट के उपचुनाव को हर हाल में जीतना है, इसलिए सरकार पंजाब के शाहकोट में झूठे वादे करने में लगी है.
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