हिन्दू धर्म में कई त्यौहार आते हैं और इन्हीं में से एक त्यौहार है ऋषि पंचमी का. यह त्यौहार या दिन पूर्ण रूप से ऋषियों को समर्पित होता है. भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी के नाम से जानते हैं. व्रत के दृष्टिकोण से यह दिन काफी महत्वपूर्ण माना गया है. आइए जानते हैं आज ऋषि पंचमी व्रत की 5 बातें और इसके लाभ के बारे में...
- कई अन्य व्रत की तरह ही इस व्रत को महिलाओं के साथ-साथ कुंवारी कन्याएं भी रखती है. हालांकि आपको बता दें कि इस व्रत का अन्य उपवास की तरह महज सुहाग या मनवांछित वर पाने से संबंध या महत्व नहीं है, बल्कि इसका लाभ अलग है.
- ऋषि पंचमी का व्रत मुख्य रूप से जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति दिलाता है. किसी भी उम्र की महिलाएं यह व्रत रख सकती है. हालांकि इसके नियमों में रहकर ही इस व्रत को रखना उचित होता है.
- विशेष रूप से महिलाओं की मासिक माहवारी के दौरान अनजाने में हुई धार्मिेक गलतियों और उससे मिलने वाले दोषों की रक्षा हेतु यह व्रत किया जाता है. इसे इस दृष्टिकोण से बेहद ही महत्वपूर्ण माना गया है. बता दें कि ऋषि पंचमी के व्रत के कथा भी महिलाओं के मासिक धर्म से ही संबंधित है.
- इस उपवास की एक और रोचक बात यह है कि इस व्रत में किसी भी देवी-देवता का पूजन नहीं किया जाता है. बल्कि देवी-देवताओं के स्थान पर इस दिन महिलाएं
सप्तर्षियों को पूजती है. इसी कारण से इस व्रत को ऋषि पंचमी के नाम से जाना जाता है. बता दें कि पंचमी तिथि पांचवे दिन के साथ ही ऋषियों का भी प्रतिनिधित्व करती है.
- कहा जाता है कि यह व्रत अपामार्ग नामक पौधे के तने से दातुन और नहाए बिना पूर्ण नहीं माना जाता है. अपामार्ग नाम के पौधे का इस व्रत में काफी महत्व होता है.
ऋषि पंचमी : महिलाओं के मासिक धर्म से जुड़ीं है व्रत की कथा, जानिए इसके बारे में