बांग्लादेश में मारे गए 50 पुलिसकर्मी, 29 थानों में लगाई आग

बांग्लादेश में मारे गए 50 पुलिसकर्मी, 29 थानों में लगाई आग
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बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा की जा रही हिंसा की वजह से पुलिस भी असुरक्षित महसूस कर रही है। हिंसक भीड़ देश भर में पुलिस थानों को निशाना बना रही है, तथा अब तक तकरीबन 30 थानों में तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं हो चुकी हैं। राजधानी ढाका में पुलिस और दंगाइयों के बीच हुई झड़पों में दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है। सत्ता परिवर्तन के पश्चात् पुलिस के मुखिया को बदलकर नए व्यक्ति की नियुक्ति की गई है। वही बांग्लादेश के मेहरपुर इस्कॉन मंदिर की तस्वीरें सामने आई थी। दंगाइयों ने तोड़फोड़ करने के बाद इस मंदिर को आग के हवाले कर दिया।

बांग्लादेश में कई पुलिस थानों पर हमला किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कम से कम 29 थानों को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया गया है। इन थानों में सामान और गोला-बारूद लूटे गए हैं तथा आगजनी की गई है। ढाका, मीरपुर, खुलना, और चट्टोग्राम जैसे शहरों में भी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं। 5 अगस्त, 2024 को सत्ता परिवर्तन के बाद से अब तक कम से कम 50 पुलिसकर्मियों की मौत हो चुकी है। पुलिस थानों की अधिकांश जगहें अब खाली पड़ी हैं, तथा पुलिसकर्मी अपनी सुरक्षा के लिए छिपे हुए हैं। इस्लामी कट्टरपंथियों ने बांग्लादेश पुलिस के मुख्यालय को भी नहीं बख्शा और उसे भी तोड़फोड़ का शिकार बनाया। ढाका के जत्राबाड़ी स्टेशन को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया, जबकि मीरपुर से हथियार भी लूटे गए। कई जगह पुलिसकर्मियों की लाशें भी मिली हैं।

ढाका के सवर क्षेत्र में पुलिस के साथ झड़पों में 31 लोग मारे गए हैं। एक पिकअप में सवार दो लोगों को जला कर मार दिया गया, जो संभवतः पुलिसकर्मी थे। इस हिंसा में कई आम नागरिकों की भी फायरिंग से मौत हुई है। सिलहट में तीन पुलिसकर्मियों का क़त्ल किया गया है, और शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद से तकरीबन 100 मौतें हुई हैं। पुलिसकर्मियों के अलावा आम नागरिक भी इस्लामी कट्टरपंथियों के शिकार हो रहे हैं, और ढाका में दो लोगों को मार कर उनकी लाशें लटका दी गईं।

बांग्लादेश में जारी हिंसा और पुलिस पर काम करने के आरोपों के बाद, पुलिस मुखिया IGP चौधरी अब्दुल्लाह अल ममून को हटा दिया गया है। उनकी जगह ट्रैफिक के मुखिया मैनुल इस्लाम को नया IGP नियुक्त किया गया है। उनकी नियुक्ति वर्तमान सेना और अंतरिम सरकार ने की है। पुराने मुखिया को इसलिए हटाया गया क्योंकि वे हसीना सरकार के दौरान नियुक्त हुए थे। हसीना सरकार के गिरने के पश्चात् , जमात-ए-इस्लामी और BNP के कट्टरपंथी नेताओं समेत 2400 लोगों को जेल से रिहा कर दिया गया है। इन लोगों को जून-जुलाई में हिंसा और तोड़फोड़ के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इनमें कई पुलिसकर्मियों पर हमला करने के आरोपित भी सम्मिलित थे।

बांग्लादेश में हिंसा और तोड़फोड़ की वजह से अधिकांश जरूरी सेवाएं प्रभावित हो चुकी हैं। विशेष रूप से बैंकिंग सेवाओं पर बुरा प्रभाव पड़ा है। बैंक और एटीएम में पैसे की किल्लत हो रही है, और लूटपाट की घटनाएं बढ़ गई हैं। बैंकों और दुकानों के बंद होने की वजह से आम जनता को खाने-पीने के सामान की भी समस्या हो रही है। जुलाई महीने से आरक्षण समाप्त करने की मांग को लेकर प्रदर्शन चल रहे थे, जिसे इस्लामी कट्टरपंथियों ने हाईजैक कर लिया। इसके बाद अगस्त में हिंसा बढ़ गई, और प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा। शेख हसीना 5 अगस्त, 2024 को ढाका से भारत चली गईं और वर्तमान में भारत में हैं।

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