पटना में मिला 500 वर्ष प्राचीन ग्रेनाइट निर्मित शिव मंदिर, महादेव की अष्टधातु की प्रतिमा भी बरामद, Video

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पटना: बिहार की राजधानी पटना के आलमगंज इलाके में एक अद्भुत और ऐतिहासिक खोज ने सनातन धर्म के अनुयायियों के बीच हर्ष और उत्साह की लहर दौड़ा दी है। नारायण बाबू स्ट्रीट पर भू-धंसाव की एक घटना के बाद, यहां सदियों पुराना एक शिव मंदिर मिलने की खबर सामने आई है।  

 

यह शिव मंदिर काले ग्रेनाइट से निर्मित है और इसकी भव्यता किसी को भी अचंभित कर सकती है। मंदिर के गर्भगृह में एक विशाल और भव्य 'शिवलिंग' स्थापित है, जिसे देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। शिवलिंग के साथ ही वहां अष्टधातु से बनी एक प्राचीन शिव मूर्ति और पैर के निशान भी पाए गए हैं, जिनके बारे में स्थानीय विद्वानों का कहना है कि वे देवत्व का प्रतीक हैं। मंदिर की दीवारों पर सुंदर नक्काशी की गई है, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को और भी बढ़ाती है।  

ऐतिहासिक जानकारों और पुरातत्व विशेषज्ञों के मुताबिक, यह मंदिर 15वीं शताब्दी का हो सकता है। हालांकि, अभी इस पर अधिक शोध और अध्ययन की आवश्यकता है। रिपोर्ट के अनुसार,  5 जनवरी को रविवार की दोपहर हुई भू-धंसाव की घटना ने इस प्राचीन मंदिर को दुनिया के सामने लाने का माध्यम बना। घटना के बाद स्थानीय निवासियों ने मौके पर खुदाई शुरू की, जिससे इस भव्य मंदिर का पता चला। यह जगह, जो अब तक कूड़ा फेंकने का स्थान बन चुकी थी, अचानक से श्रद्धा और आस्था का केंद्र बन गई।

  

स्थानीय लोगों के अनुसार, इस स्थान पर कभी एक पुजारी रहते थे। उनके निधन के बाद, पुजारी का परिवार यह जगह खाली कर गया और धीरे-धीरे यह स्थल उपेक्षित होकर कूड़ाघर में तब्दील हो गया। किसी को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि जमीन के नीचे इतना भव्य मंदिर छिपा हो सकता है।  

जैसे ही मंदिर मिलने की खबर फैली, बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचने लगे। पूरे इलाके में 'हर हर महादेव' और 'जय शिव शंकर' के जयकारे गूंजने लगे। लोग मंदिर के शिवलिंग पर जल चढ़ाने और पूजा-अर्चना करने लगे। स्थानीय निवासी इस घटना को ईश्वरीय चमत्कार और देवत्व का जागरण मान रहे हैं।  

इस खोज ने न केवल स्थानीय निवासियों बल्कि सोशल मीडिया पर भी हलचल मचा दी है। लोग इसे प्राचीन संस्कृति और धर्म की पुनः खोज के रूप में देख रहे हैं। वहीं, कुछ लोग इसे सनातन धर्म के पुनरुत्थान का प्रतीक मान रहे हैं। मंदिर के पुनरुद्धार और संरक्षण के लिए स्थानीय प्रशासन और पुरातत्व विभाग को सूचना दी गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि मंदिर का अध्ययन और इसकी संरचना का विश्लेषण भारतीय इतिहास के कई अनछुए पहलुओं को उजागर कर सकता है।  

यह खोज न केवल आस्था का प्रतीक बनी है, बल्कि यह इस बात का भी प्रमाण है कि भारतीय संस्कृति और इतिहास की जड़ें कितनी गहरी और समृद्ध हैं। स्थानीय लोग अब इस मंदिर को संरक्षित करने और इसे धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग कर रहे हैं।  इस प्राचीन शिव मंदिर का पुनरुद्धार न केवल आलमगंज इलाके के लिए बल्कि पूरे देश के लिए गौरव का विषय बन गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे इसे किस तरह से संरक्षित किया जाता है और यह धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से क्या नई जानकारियां उजागर करता है।

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