जापान ने फिर अपनी एक खोज से पूरी दुनिया को चौंका दिया. हाल ही में जापान के वैज्ञानिकों को चांद पर एक बहुत बड़ी गुफा का पता चला है और वैज्ञानिकों का दावा हैं कि चंद्रमा पर जाने वाले एस्ट्रोनॉट यहाँ रह सकते हैं. इससे वे खतरनाक तरंगों और तापमान में बदलाव से बच सकते हैं. जापान के एईएईएनई लूनर ऑर्बिटर से मिले आंकड़ों के अनुसार चांद पर मौजूद यह गुफा 3.5 अरब साल पहले भूगर्भ के अंदर हुई हलचल की वजह से बनी होगी. इस गुफा की लंबाई 50 किलोमीटर और चौड़ाई 100 मीटर है.
वैज्ञानिकों ने गुरूवार को इस खबर को मीडिया के साथ साझा करते हुए कहा कि यह गुफा भूगर्भ से निकले लावे की वजह से तैयार हुई होगी. जापानी वैज्ञानिकों ने ये आंकड़े और नतीजे अमेरिकी पत्रिका जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित कराए हैं.
जापानी वैज्ञानिक जुनिची हारुयामा ने गुरुवार को कहा, 'हमें अभी तक ऐसी चीज के बारे में पता था और माना जाता था कि यह लावा ट्यूब हैं, लेकिन उनकी मौजूदगी की पुष्टि पहले नहीं हुई थी.' जमीन के अंदर मौजूद यह गुफा चंद्रमा के मारियस हिल्स नामक जगह के पास है। जापानी वैज्ञानिक ने कहा कि इस गुफा में रह कर अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा प्रवास के दौरान तरंगों और तापमान में होने वाले तेज बदलावों के प्रकोप से बच सकते हैं.
चंद्रमा पर सबसे पहले 20 जुलाई 1969 को मनुष्य ने कदम रखा था. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के दो एस्ट्रोनॉट नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रीन अंतरिक्ष विमान अपोलो 11 में सवार होकर चांद पर पहुंचे थे.
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