नई दिल्ली: देश में 'बेरोज़गारी' को लेकर अक्सर चर्चा चलती रहती है, विपक्षी दल इस मुद्दे पर अक्सर केंद्र सरकार को घेरते रहते हैं। लेकिन, अब बेरोज़गारी के मोर्चे पर सरकार को बड़ी राहत देने वाली खबर सामने आई है। दरअसल, स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) की एक शोध रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने वित्तीय वर्ष 2020 और 2023 के बीच लगभग 5.2 करोड़ नई औपचारिक नौकरियां जोड़ी हैं। यह रिपोर्ट कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO), राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) और कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) के विश्लेषण पर आधारित थी। इस अवधि के दौरान वास्तविक नेट न्यू पेरोल, नई नौकरियों के लिए 2.27 करोड़ था। रिपोर्ट के अनुसार, कुल सदस्यों में महिलाओं की हिस्सेदारी 27% है।
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले चार वर्षों के EPFO पेरोल डेटा रुझान से पता चलता है कि पोर्टल पर 4.86 करोड़ शुद्ध नए ग्राहक जुड़े थे। इनमें नया पेरोल (पहला पेरोल), दूसरा पेरोल (पुनः शामिल/पुनः सदस्यता प्राप्त सदस्य), और औपचारिक पेरोल शामिल हैं। पहली नौकरियों का हिस्सा कुल शुद्ध नए पेरोल का 47% (जिन्हे पहली बार नौकरी मिली) था, और दूसरी नौकरियों का हिस्सा 2.17 करोड़ था। इसका मतलब यह है कि SBI के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष द्वारा लिखी गई रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-23 में औपचारिकता में शुद्ध वृद्धि 42 लाख थी।अगर हम FY24 के लिए Q1 EPFO पेरोल डेटा देखें, तो रुझान काफी उत्साहजनक है।
Everyone should be talking about this
— Abhishek (@AbhishBanerj) September 14, 2023
India's economy added 5.2 crore formal sector jobs
Half of them new
These are just the *formal sector* jobs
It means many many more were added in informal sector pic.twitter.com/vGZo1duSw6
वित्त वर्ष 2024 के EPFO पेरोल डेटा की पहली तिमाही उत्साहजनक डेटा दिखाती है, जिसमें 44 लाख शुद्ध नए EPF ग्राहक शामिल हुए, जिनमें से पहला पेरोल 19.2 लाख था। घोष ने कहा कि, अगर यह प्रवृत्ति जारी रहती है, तो शुद्ध नया पेरोल 160 लाख के आंकड़े को पार कर जाएगा, जो 70-80 लाख ब्रैकेट में पहले पेरोल के साथ अब तक का सबसे अधिक है। NPS डेटा वित्त वर्ष 2013 में 8.24 लाख नए ग्राहकों को दर्शाता है, जिनमें से राज्य सरकार के पेरोल 4.64 लाख और गैर-सरकारी पेरोल 2.30 लाख हैं जबकि केंद्रीय पेरोल 1.29 लाख हैं। पिछले चार वर्षों में लगभग 31 लाख नए ग्राहक NPS से जुड़े हैं।
इसका मतलब है कि EPFO और NPS की कुल पेरोल पीढ़ी FY20 से FY23 तक 5.2 करोड़ से अधिक है। महिलाओं के पेरोल का हिस्सा लगभग 27% था। इसके अलावा, रिपोर्ट मौजूदा वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में दूसरे पेरोल (पुनः शामिल/पुनः सदस्यता) के संशोधन में गिरावट दर्शाती है। इसका मतलब यह है कि अधिक लोग अपने वर्तमान रोजगार पर बने रहने का निर्णय ले सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इसे अनौपचारिक क्षेत्र के डेटा के साथ जोड़ दिया जाए तो संख्या बहुत अधिक हो सकती है। यह विकास कोविड के बाद की अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था के एक महत्वपूर्ण पुनरुत्थान का संकेत देता है।
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