संयुक्त राष्ट्र सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) एजेंसी ने कहा है कि नवीनतम उच्च गति वाली ब्रॉडबैंड तकनीक 5जी की कोविड-19 के प्रसार में कोई भूमिका नहीं है। कोरोना वायरस और इसके बीच संबंध की बात एक अफवाह है, जिसका कोई तकनीकी आधार नहीं है। दुनिया भर में कोविड-19 महामारी फैसले के बाद से आयरलैंड, साइप्रस और बेल्जियम सहित कई यूरोपीय देशों में 5जी नेटवर्क के टावार-उपकरण की तोड़-फोड़ की खबरें आ रही हैं।यूएन न्यूज की एक खबर में कहा गया है कि ब्रिटेन में दर्जनों टावरों को निशाना बनाया गया और उन पर काम कर रहे कुछ इंजीनियरों के साथ बुरा बर्ताव किया गया।
अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) की प्रवक्ता मोनिका गेहनेर ने बुधवार को यूएन न्यूज को बताया कि 5जी और कोविड-19 के बीच संबंध की बात एक अफवाह , जिसका कोई तकनीकी आधार नहीं है।उन्होंने कहा, 'कोरोना वायरस रेडियो तरंगों से नहीं फैलता है। इस महामारी के दौरान जब असली चिंताएं आम लोगों के स्वास्थ्य और आर्थिक संकट के बारे में हैं, यह सच में शर्म की बात है कि हमें समय या ऊर्जा को इस तरह की झूठी अफवाहों से लड़ने में लगाना पड़ रहा है।' 5जी अगली पीढ़ी की सेलुलर तकनीक है, जिसमें डाउनलोड गति वर्तमान 4जी नेटवर्क की तुलना में 10 से 100 गुना तेज है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले भी वैज्ञानिकों ने कहा था कि कोविड-19 और 5-जी तकनीक के बीच संबंधों की बात पूर्ण बकवास है और यह जैविक रूप से संभव नहीं है। एनएचएस इंग्लैंड मेडिकल के निदेशक स्टीफन पाविस ने ऐसे कांस्पेरिज थ्योरीज को, सबसे खतरनाक फेक न्यूज बताया है। जो लोग ऐसे पोस्ट शेयर कर रहे है वो सब कांस्पेरेसी थ्योरी को बढ़ावा दे रहे हैं। जिसमें 5-जी की मदद से कोरोना वायरस संक्रमण फैलने का झूठा दावा किया जा रहा है।
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