इस दिन अपनी प्रजा से मिलने आते हैं राजा बलि, जानिए ओणम पर्व की 6 महत्वपूर्ण बातें

इस दिन अपनी प्रजा से मिलने आते हैं राजा बलि, जानिए ओणम पर्व की 6 महत्वपूर्ण बातें
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नई दिल्ली: भार‍त विभिन्न धर्मों, जातियों और संस्कृतियों से भरा पूरा देश है। पूरे देश के उत्सवों एवं पर्वों की दुनिया में एक अलग जगह है। सर्वधर्म समभाव के प्रतीक केरल प्रांत का मलयाली पर्व 'ओणम' समाज में सामाजिक समरसता की भावना, प्रेम और भाईचारे का संदेश देशभर में पहुंचा कर देश की एकता एवं अखंडता को सशक्त करने की प्रेरणा देता है। एक कथा के अनुसार, राजा बलि ओणम के दिन अपनी प्रजा से मिलने आते हैं। उन्हें यह वरदान भगवान विष्णु से मिला था। इसके कारण समाज के लोग विष्णु की आराधना और पूजा करने के साथ ही अपने राजा का स्वागत करते हैं। 

- ओणम पर्व पर लोग, राजा बलि के स्वागत के लिए घरों की भव्य साज-सज्जा के साथ तरह-तरह के पकवान बनाकर उनको भोग लगाते है। 
 
- इसके साथ ही यह त्यौहार नई फसल के आने की खुशी में भी मनाया जाता है। 
 
-  इस दिन अपने घर के सामने रंगोली सजाने और दीप जलाने की भी परंपरा हैं।
 
- हर घर में विशेष पकवान बनाए जाते हैं। विशेष तौर पर इस दिन चावल, गुड़ और नारियल के दूध को मिलाकर खीर बनाई जाती है। 
 
- इसके साथ ही कई प्रकार की सब्जियां, सांभर आदि भी बनाया जाता है। 
 
- इस मौके पर मलयाली समाज के लोगों ने एक-दूसरे को गले मिलकर बधाई देते हैं। साथ ही परिवार के लोग और रिश्तेदार इस त्यौहार को साथ मिलकर मनाते हैं। 

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