जयपुर: छात्रों के लिए सपनों का शहर माना जाने वाला कोटा, अब आत्महत्याओं के बढ़ते मामलों के कारण गंभीर चिंता का विषय बन गया है। शिक्षा के इस हब में हर साल सैकड़ों छात्र अपनी तैयारी करने आते हैं, लेकिन इस बार जनवरी 2025 में छह छात्रों की आत्महत्या ने एक नई बहस को जन्म दिया है। इनमें से पांच छात्र JEE (इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम) की तैयारी कर रहे थे और एक छात्रा NEET (मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम) की तैयारी कर रही थी।
कोटा, राजस्थान में एक ही दिन में दो बच्चों के आत्महत्या का समाचार अत्यंत डरावना और हृदयविदारक है। यहां तीन हफ्ते के अंदर 5 छात्रों ने आत्महत्या की है, ये बहुत चिंताजनक है।
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) January 23, 2025
यह समय शिक्षा के संस्थानों, अभिभावकों और सरकारों को मिलकर सोचने और आत्मनिरीक्षण करने का है कि ऐसा क्यों हो…
कांग्रेस नेता और वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी ने इन घटनाओं पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने इन आत्महत्याओं को "अत्यंत डरावना और हृदयविदारक" बताते हुए इसे शिक्षा प्रणाली और छात्रों पर बढ़ते दबाव की गंभीरता को उजागर करने वाला बताया। प्रियंका गांधी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट 'X' पर पोस्ट करते हुए लिखा "कोटा, राजस्थान में एक ही दिन में दो बच्चों के आत्महत्या का समाचार अत्यंत डरावना और हृदयविदारक है. यहां तीन हफ्ते के अंदर 5 छात्रों ने आत्महत्या की है, ये बहुत चिंताजनक है. यह समय शिक्षा के संस्थानों, अभिभावकों और सरकारों को मिलकर सोचने और आत्मनिरीक्षण करने का है कि ऐसा क्यों हो रहा है? क्या हमारे बच्चों पर इतना दबाव पड़ रहा है कि वे झेल नहीं पा रहे हैं या समूचा वातावरण उनके अनुकूल नहीं है? सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाना चाहिए."
कोटा में छात्रों द्वारा आत्महत्या करने की घटनाओं का सिलसिला इस साल 7 जनवरी से शुरू हुआ था, जब पहले एक छात्र ने अपनी जान ली। इसके बाद 8 जनवरी को एक और JEE छात्र ने आत्महत्या की। 22 जनवरी को स्थिति और गंभीर हो गई, जब दो छात्रों ने मात्र दो घंटे के अंतराल में आत्महत्या कर ली। इनमें से अधिकतर छात्र JEE की तैयारी कर रहे थे, जबकि एक छात्रा NEET की तैयारी कर रही थी।
प्रियंका गांधी ने यह भी कहा कि सरकार को बच्चों के मनोविज्ञान, शिक्षा प्रणाली और कोटा जैसे शहरों का माहौल समझने की जरूरत है। उन्होंने इस दिशा में ठोस सुधार की अपील की, ताकि छात्रों पर बढ़ते दबाव का कारण समझा जा सके और उनका मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बनाया जा सके। अब यह देखना होगा कि सरकार और संबंधित संस्थान इस गंभीर मुद्दे पर क्या कदम उठाते हैं।