कोलकाता: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस (TMC) को मिली प्रचंड जीत के बाद भड़की हिंसा पर देश के 600 शिक्षाविदों ने पत्र लिखा है। शिक्षाविदों ने ममता बनर्जी सरकार को चेताते हुए कहा है कि सरकार राजनैतिक विद्रोहियों के खिलाफ हिंसा का माहौल बनाकर संवैधानिक मूल्यों के साथ खिलवाड़ न करे। पत्र लिखने वालों में प्रोफेसर, वाइस चांसलर, डायरेक्टर, डीन और पूर्व वाइस चांसलर जैसे शिक्षाविद शामिल हैं।
शिक्षाविदों ने ममता सरकार से राज्य में बदले की सियासत बंद करने की माँग की है। पत्र में कहा गया है कि TMC से संबंधित आपराधिक किस्म के लोग उसकी विपरीत विचारधारा वाले लोगों पर हमले कर रहे हैं। पत्र में यह भी कहा गया है कि हजारों लोगों की संपत्ति को क्षति पहुँचाने के साथ ही उनके साथ लूट-पाट भी की गई है। पत्र में ये दावा किया गया है कि बंगाल में TMC को वोट नहीं करने वाला समाज का एक बड़ा तबका दभशत के साए में जी रहा है। ये वर्ग TMC समर्थकों द्वारा पीड़ित हैं। हत्या, दुष्कर्म और लूट के भय से हजारों लोग असम, झारखंड और ओडिशा में पनाह ले रहे हैं। ज्यादतर मीडिया, पुलिस और प्रशासन या तो अपराधियों के साथ हैं या राज्य सरकार के भय से मौन हैं।
पत्र पर दस्तखत करने वाले शिक्षाविदों ने बंगाल के उन लोगों के लिए चिंता प्रकट की है, जिन्हें स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का इस्तेमाल करने पर सत्तासीन पार्टी (TMC) का गुस्सा झेलना पड़ा। शिक्षाविदों ने पत्र में कहा कि, “हम समाज के कमजोर वर्गों को लेकर चिंतित हैं, जिन्हें भारत के नागरिक के रूप में अपने अधिकार का प्रयोग करने के कारण सरकार द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है।” इसके साथ ही शिक्षाविदों ने अपने पत्र में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त एसआईटी से बंगाल हिंसा की जांच कराए जाने की माँग की है। साथ ही उन्होंने स्वतंत्र एजेंसियों से पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की जाँच करने के लिए कहा है।
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