7.5 फीसदी की वृद्धि दर भी आम आदमी के जीवन में सुधार लाने में नाकाम

7.5 फीसदी की वृद्धि दर भी आम आदमी के जीवन में सुधार लाने में नाकाम
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नई दिल्ली: भारत की पिछले 12 साल की औसतन 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर आम आदमी के जीवन में महत्वपूर्ण सुधार लाने में नाकाम रही है. यह कहना है जाने-माने विकास अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज का. संप्रग की राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के पूर्व सदस्य द्रेज ने कहा ‘‘भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 12 साल से करीब 7.5 प्रतिशत रही है और इस औसत में थोड़ा बहुत बदलाव हुआ है."

द्रेज ने कहा, ‘‘कुछ ही देशों की प्रगति इतने लंबे समय तक इतनी तेज रही है और साथ ही जीवनशैली की गुणवत्ता में सुधार इतना सीमित रहा. पिछले दो साल की वृद्धि दर इसी दायरे में है." रांची विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के विजिटिंग प्रोफेसर ज्यां द्रेज ने कहा यह एक तरह की उपलब्धि है क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन इस वक्त अच्छा नहीं है.

भारत में भूख, अकाल और नरेगा जैसे मुद्दों पर विस्तृत शोध करने वाले द्रेज ने कहा, ‘‘मुख्य मुद्दा, वृद्धि दर जो बढ़ भी सकती है और नहीं भी, को और अधिक बढ़ाना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि वृद्धि से लोगों के जीवन-स्तर में सुधार हो.’’ बता दें कि वित्त वर्ष 2015-16 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि 7.6 प्रतिशत थी.

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