70 वर्षीय पति ने पत्नी को दिया तलाक, मामला जानकर उड़ जाएंगे होश

70 वर्षीय पति ने पत्नी को दिया तलाक, मामला जानकर उड़ जाएंगे होश
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करनाल: देश में इस समय एक मामला चर्चा का विषय बना हुआ है, जो है AI सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या। यह मामला कानूनी और मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर सवाल उठाता है। अतुल सुभाष ने 9 दिसंबर को पत्नी से बिगड़े रिश्तों और मानसिक उत्पीड़न के कारण खुदकुशी कर ली। आत्महत्या से पहले उसने 24 पन्नों का सुसाइड नोट और एक वीडियो बनाया था, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया तथा कई लोगों ने इसे लेकर अपनी चिंता व्यक्त की। इस घटना के बाद, अब करनाल से एक और तलाक का मामला सामने आया है, जो अतुल सुभाष के केस से बहुत हद तक मिलता-जुलता है। इस बार मामला बुजुर्ग दंपति का है, जिन्होंने अपनी 44 साल पुरानी शादी को खत्म करने का फैसला लिया तथा 18 साल लंबी कानूनी लड़ाई के बाद तलाक लिया।

करनाल में बुजुर्ग दंपति का तलाक
यह मामला हरियाणा के करनाल का है, जहां एक बुजुर्ग दंपति ने अपने जीवन के सातवें दशक में आकर तलाक लिया। 70 वर्षीय पति और 73 वर्षीय पत्नी ने 44 साल पुरानी शादी को खत्म करने का फैसला लिया। यह मामला इस कारण खास है क्योंकि इसने वैवाहिक जीवन के अंतिम दौर में भी तलाक के मामलों की गंभीरता को उजागर किया। पति ने अपनी पत्नी पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया तथा तलाक के साथ 3 करोड़ रुपये का सेटलमेंट देने की पेशकश की। यह सेटलमेंट रकम उन्हें अपनी खेती की ज़मीन बेचकर जुटानी पड़ी।

कानूनी लड़ाई और सेटलमेंट
यह तलाक का मामला लगभग 18 साल तक चला। 2006 में, दोनों ने अलग-अलग रहने की शुरुआत की, तथा 2013 में पति ने मानसिक क्रूरता का आरोप लगाकर तलाक का केस दायर किया। हालांकि, पहली बार कोर्ट में उनका केस खारिज कर दिया गया था, तत्पश्चात, मामला उच्च न्यायालय पहुंचा। हाईकोर्ट में 11 साल तक मुकदमा चला और अंततः दोनों के तलाक पर मुहर लगाई गई। इस के चलते, दोनों के बीच का विवाद बढ़ते गया, और पति ने अंत में सेटलमेंट के तौर पर 3 करोड़ रुपये की रकम पत्नी को देने का फैसला किया।

सेटलमेंट की राशि का भुगतान तीन तरीकों से किया गया: कैश, डिमांड ड्राफ्ट, और सोने-चांदी के रूप में। कुल मिलाकर, यह रकम 3 करोड़ रुपये थी, जिसमें से 2.16 करोड़ रुपये पति ने अपनी कृषि भूमि बेचकर जुटाए। इसके अतिरिक्त, 50 लाख रुपये नगद और 40 लाख रुपये के सोने-चांदी के गहनों के रूप में पत्नी को दिए गए। यह कदम यह दर्शाता है कि पति ने अपनी पूरी संपत्ति पत्नी को देने के लिए तैयार था, जिससे वह कानूनी तौर पर उसे संतुष्ट कर सके एवं अपने जीवन के शेष समय को शांति से बिता सके।

वही इस समझौते में यह भी शर्त रखी गई थी कि यदि बुजुर्ग पति की मृत्यु हो जाती है, तो उनकी पत्नी और बच्चों को उनकी संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं रहेगा। यह शर्त समझौते में इस तरह रखी गई थी जिससे भविष्य में संपत्ति के विवाद से बचा जा सके। इस बात का ध्यान रखते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस सुधीर सिंह और जस्टिस जसजीत सिंह बेदी ने इस मामले पर अंतिम फैसला सुनाया।

15 वर्षों तक अच्छे रिश्ते
पति और पत्नी के बीच संबंध शुरुआत में अच्छे थे एवं लगभग 15 साल तक उनका वैवाहिक जीवन सुखमय था। किन्तु वक़्त के साथ कड़वाहट आने लगी, जो आहिस्ता-आहिस्ता बढ़ती चली गई। पति ने आरोप लगाया कि पत्नी मानसिक रूप से क्रूर थीं और उनके व्यवहार से वह परेशान हो गए थे। 2006 में दोनों ने अलग-अलग रहने का फैसला किया, और इसके बाद धीरे-धीरे उनके बीच का संबंध खत्म हो गया।

अंततः 18 साल के लंबी कानूनी लड़ाई के पश्चात्, इस बुजुर्ग दंपति ने अपनी शादी को खत्म करने का फैसला किया। इस तलाक के मामले ने यह स्पष्ट कर दिया कि शादी के अंतिम दौर में भी संबंधों में उतार-चढ़ाव हो सकते हैं तथा मानसिक उत्पीड़न जैसे मुद्दे गंभीर रूप से सामने आते हैं। यह मामला अतुल सुभाष की आत्महत्या के साथ-साथ एक और उदाहरण है कि रिश्तों में उत्पीड़न और तनाव का किस हद तक नकारात्मक प्रभाव हो सकता है।

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