कर्नाटक में अमावस्या को मतगणना, अनिष्ट निवारण पर 72 लाख खर्च

कर्नाटक में अमावस्या को मतगणना, अनिष्ट निवारण पर 72 लाख खर्च
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कर्नाटक विधानसभा चुनाव में शनिवार को मतदान और अमावस्या के दिन मतगणना है मतलब 12 मई को मतदान और 15 मई को मतगणना. इससे नेताओं की चिंता बढ़ गई है. मठो और संतो के प्रभाव में देखे जाने वाले कर्नाटक के नेता अब इस बात को लेकर बेहद चिंतित है. मतदान और मतगणना की तारीखों को लेकर कर्नाटक के नेता काफी डरे हुए हैं. जनता दल सेक्यूलर (JDS) प्रमुख और पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा ज्योतिष विद्या में काफी विश्वास रखते हैं. उनके करीबियों का कहना है कि उन्होंने अपने ज्योतिषी से मिलकर 'बुरे साए' के असर को कम करने के उपायों पर लम्बी चर्चा की है.

वहीं देवेगौड़ा के बेटे एचडी रेवन्ना ने तमिलनाडु के एक बड़े ज्योतिषी से संपर्क किया है. रेवन्ना ने उनसे दोनों दिन विशेष हवन करने के लिए कहा है. रेवन्ना ने कहा, "हम ईश्वर पर विश्वास रखते हैं. जब तक ईश्वर और जनता हमारे साथ है तब तक कोई हमारा नुकसान नहीं कर सकता है."सीएम सिद्धारमैया भले ही ज्योतिष विद्या में यकीन न करते हों लेकिन उनकी पत्नी पार्वती सिद्धारमैया एक आध्यात्मिक महिला हैं और उन्होंने अपने बेटे और पति के लिए विशेष प्रार्थनाएं शुरू कर दी हैं. सिद्धारमैया अपने बेटे यतिंद्र के लिए वरुणा सीट छोड़ रहे हैं. वह खुद चामुंडेश्वरी विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे.

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और सीएम पद के उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा भी ज्योतिष विद्या में खासा यकीन करते हैं. साल 2008 से 2011 के दौरान जब वह प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तब 'काले जादू' से निपटने के लिए उन्होंने विशेष पूजा करवाई थी. इसे लेकर वह लंबे समय तक सुर्खियों में थे. कुछ महीने पहले बेंगलुरु स्थित येदियुरप्पा के घर में कई नागा साधु पहुंचे थे. खबरें थीं कि येदियुरप्पा ने उनका आशीर्वाद लेने के लिए उन्हें अपने घर पर आमंत्रित किया था. स्थानीय मान्यता है कि नागा साधु का पैर छूने से राजनीतिक ताकत मिलती है. अपने टेंपल रन के लिए चर्चित एक वरिष्ठ मंत्री ने बताया कि चुनाव और रिजल्ट की तारीखों की वजह से उनके कई सहयोगी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं. उन्होंने कहा, “मेरी पत्नी ने घर पर विशेष पूजा शुरू कर दी है.”

वहीं चित्रदुर्गा सीट से टिकट के एक दावेदार ने अपने घर में नगा साधुओं को आमंत्रित किया था. उन्हें उम्मीद है कि इस बार वह विधानसभा पहुंच जाएंगे. उन्होंने कहा, “इस बार हालत काफी बुरी है. मैं सभी बचाव के सारे उपाय कर रहा हूं.” कुछ नेताओं का विश्वास है कि मंदिरों के झंडे खरीदने से उन्हें सत्ता हासिल करने में मदद मिलेगी. इन झंडों को मुक्ति ध्वज कहा जाता है और नेताओं में इसे खरीदने की होड़ लगी होती है. चित्रदुर्गा के एक मंदिर में एक नेता ने ऐसे ही एक ध्वज को 72 लाख रुपये में खरीदा. वहीं राज्य के शीर्ष ज्योतिषी भी इन दिनों अपने वीआईपी क्लाइंट्स को देखने में खासे व्यस्त हैं.

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