नई दिल्ली: इस साल मार्च माह में कोरोना वायरस के संक्रमण बढ़ने के साथ ही लॉकडाउन लागू कर दिया गया था. कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों की वजह से लॉकडाउन को 50 से भी अधिक दिनों तक लागू रखा गया था. जिसकी वजह से ऑटो उद्योग में काफी मंदी दर्ज की गई है. वहीं लॉकडाउन हटने के बाद भी इसका प्रभाव बाजार पर देखा जा सकता है.
लॉकडाउन हटने के बाद अप्रैल-जून की मियाद में यात्री वाहन की बिक्री में 78.43 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है. प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक, संभवतः यह ऑटो सेक्टर में सबसे खराब तिमाही रही. वहीं दूसरी तरफ बाजार में पुराने और सैकेंड हैंड कारों की बिक्री में इजाफा हुआ है. सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के मुताबिक, कोरोना का असर ऑटो सेक्टर पर इतना कठोर पड़ा है कि 2018 में हासिल की गई चरम बिक्री तक पहुंचने में 3-4 वर्षों का समय लग जाएगा. खासकर यात्री वाहनों में अप्रैल-जून अवधि के दौरान बिक्री में 78.43 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है. जिसे ऑटो सेक्टर के लिए सबसे खराब तिमाही बताया गया.
मारुति सुजुकी इंडिया के मार्केटिंग और सेल्स के कार्यकारी निदेशक शशांक श्रीवास्तव का कहना है कि कोरोना के पहले के आंकड़ों को देखते हुए अब कंपनी की नई कारों की खरीद में केवल 80 से 85 फीसद तक ही उछाल देखा गया है. वहीं सेकंड हैंड कारों की खरीद में 115 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है.
होंडा स्कूटर ने पेश की सेल्स रिपोर्ट
TVS Apache RR 310 BS6 बाइक लवर्स को लगा झटका, कंपनी ने बढ़ाए दाम
भारत में Honda ने बनाया नया रिकॉर्ड, Activa 125 खरीदने के लिए टूटे लोग