नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से अधिग्रहित वक्फ संपत्ति का कानूनी उत्तराधिकारी होने का दावा करते हुए एक वरिष्ठ नागरिक ने 510 करोड़ रुपये की जमीन के मुआवजे के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. शीर्ष अदालत में दाखिल की गई याचिका में याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि अलीम अख्तर 80 वर्षीय कानूनी उत्तराधिकारी हैं, जिन्होंने 510 करोड़ रुपये के मुआवजे का दावा किया था. जिसे जिला मजिस्ट्रेट फतेहपुर ने नामंजूर कर दिया था. इसे लेकर भी राहत की मांग की गई है.
याचिका में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया कि अदालत ने भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास (LRR) अधिनियम, 2013 में उचित मुआवजे और पारदर्शिता के अधिकार के प्रावधानों के बाद भी मुआवजे से इनकार कर दिया. याचिका में कहा गया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह निष्कर्ष निकालने में घोर गलती की है कि याचिकाकर्ता 110 वर्ष पहले जमीन का मालिक था.
याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट ने संपत्ति के संबंध में मुआवजा नहीं देने में गलती की है. इसमें कहा गया कि राज्य को कानून के मुताबिक, मुआवजे की गणना करनी चाहिए इसे देना चाहिए. याचिका में कहा गया कि वास्तव में याचिकाकर्ता के पूर्वज मोहम्मद हसन उस संपत्ति के मालिक थे, जिसके बारे में प्रमाणित किया गया था.
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