कहते हैं सीखने और काम करने की कोई उम्र नहीं होती है. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में सुनकर आपको अपने कानों पर विश्वास नहीं होगा. जी हाँ, हम बात कर रहे हैं जुदाइया बाई बैगा की, जो 80 साल की उम्र में पेंटिंग करती हैं. उनका कहना है, "रंगसाज़ी मुझे दूसरी दुनिया में ले जाती है, जहां मैं एक आज़ाद पंछी हूं. दुनिया के नक्शे पर अपने गांव को ला खड़ा करने का ये उनका तरीका है. और इसने तमाम परंपराओं को जिंदा बनाए रखा है.''
आपको बता दें कि जुदाइया बाई बैगा की तस्वीरें अपना रास्ता तय करती हुई हाल ही में इटली के मिलान शहर की एग्ज़बीशन में पहुंचीं और हाथों-हाथ बिक गईं लेकिन यह पहली पार नहीं हुआ जब जुदाइया बाई कि तस्वीरें कई क़ाबिल कलाकारों की तस्वीरों के बीच नज़र आ रही हों. बल्कि इसके पहले भी उनकी पेंटिंग अपनी जगह कई स्थानों पर बना चुकीं हैं. जुदाइया बाई बैगा मध्यप्रदेश के एक बेहद छोटे से गांव 'लोहरा' से ताल्लुक़ रखने वाली हैं और उनकी उम्र 80 साल है. जुदाइया बाई बैगा का कहना है, "उम्र या मशहूर हो जाने का ग़लतियों से कोई लेना-देना नहीं है. किसी भी कला में महारथ हासिल कर लेने की बात भ्रम है. कला में हमेशा कुछ बेहतर कर सकने की गुंजाइश होती है."
वह कहती हैं, "पेटिंग मुझे दूसरी दुनिया में ले जाती है. मैं वहां आज़ाद हूं. जब मुझे एक टीचर के बारे में मालूम चला, जो गांव में मुफ़्त में पेंटिंग सिखाना चाहता है, मैंने तय कर लिया था कि मैं एक कोशिश ज़रूर करूंगी. ये एक ऐसी चीज़ थी जिसमें मेरी कभी दिलचस्पी नहीं थी, फिर भी, पहले ही दिन मुझे मेरा जुनून सवार हो गया था." आपको बता दें कि अपनी पेंटिंग के कारण वहआशीष स्वामी ने जुड़ गईं और आशीष पश्चिम बंगाल के एक जाने-माने कलाकार और शिक्षक हैं.आशीष का कहना है कि, "कला की कीमत उसकी कारीगरी और हस्तकौशल से होती है, न कि उसकी कल्पनाशीलता से. हम अपनी कला का प्रदर्शन पूरे भारत में कर रहे हैं. हमारे एक तस्वीर 300 रुपए से लेकर 8 हज़ार रुपए के बीच तक होती है." वैसे जुदाइया बाई बैगा ने यह साबित कर दिया कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती.
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