स्वास्थ्य सुविधाएं हर एक नागरिक का अधिकार है. लेकिन पश्चिम सिंहभूम जिले में 16 लाख लोगों के स्वास्थ्य की ज़िम्मेदारी मात्र 84 डॉक्टरों के हाथ सौंप दी गई है. 16 लाख आबादी वाले इस आदिवासी बहुल जिले के 80 फीसदी से अधिक लोग आज भी जंगल, पहाड़ और गांवों में रहते हैं. ऐसे में यहाँ की स्वास्थ्य सुविधाओं की कमियों की गिनती करना मुश्किल है.
वैसे तो यहाँ एक सदर अस्पताल के अलावा 4 रेफरल अस्पताल, 15 पीएचसी, 15 एपीएचसी और 342 एचएससी हैं. लेकिन यह सभी केवल 84 डॉक्टरों के भरोसे चल रहे हैं. जबकि सिर्फ सदर अस्पताल में ही विशेषज्ञ डॉक्टर सहित ढाई सौ डॉक्टरों की आवश्यकता है. यानी कि इस जिले की 16 लाख की आबादी का इलाज केवल 84 डॉक्टरों के हाथ है, तो फिर मेडिकल साधन, स्वास्थ्यकर्मी, नर्स और अन्य कर्मियों की कमी की बात तो दूर की है. सदर अस्पताल में आईसीयू कईं महीने से बनकर तैयार है, लेकिन डॉक्टरों के अभाव में इसमें ताला लगा हुआ है.
यहाँ के सदर अस्पताल में दर्जनभर से अधिक बड़े-बड़े भवन करोड़ों की लागत से बनकर तैयार किये गए हैं, लेकिन सब महीनों से बेकार पड़े हैं. क्योंकि इन सभी भवनों में किसी में भी न तो पानी की व्यवस्था है और न ही बिजली की. जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली से यहाँ के डॉक्टर भी परेशान हैं. वह किसी तरह सदर अस्पताल में मरीजों को इलाज मुहैया करा रहे हैं. लेकिन प्रश्न यह है कि इन स्वास्थ्य सेवाओं का इलाज कब होगा.
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