रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और गृह मंत्री विजय शर्मा के नेतृत्व में राज्य को दो प्रमुख चुनौतियों - अवैध अप्रवास और वामपंथी उग्रवाद - से मुक्त करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। गृह मंत्री विजय शर्मा ने 9 दिसंबर को भिलाई में एक सार्वजनिक बैठक में बताया कि राज्य से लगभग 850 अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को निष्कासित किया गया है। इस कदम को क्षेत्र की जनसांख्यिकीय अखंडता और सांस्कृतिक संरचना की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
शर्मा ने बताया कि बस्तर से 500 और कवर्धा से 350 घुसपैठियों को निर्वासित किया गया है। इसके अलावा कोंडागांव से 46 अन्य अवैध अप्रवासियों को हिरासत में लिया गया है, जो निर्वासन की प्रक्रिया का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य पुलिस अवैध घुसपैठियों की पहचान करने और उन्हें निष्कासित करने के लिए पूरी तत्परता से काम कर रही है। यह मुद्दा लंबे समय से राज्य में विवाद का विषय रहा है। अगस्त 2024 में आदिवासी संगठन सर्व आदिवासी समाज ने घुसपैठ के खिलाफ एक राज्यव्यापी बंद का आयोजन किया था। आदिवासी संगठनों ने आरोप लगाया कि ये घुसपैठिए गांवों, कस्बों और शहरों में बसकर क्षेत्र की सांस्कृतिक और जनसांख्यिकीय संरचना को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उस समय विरोध प्रदर्शन के कारण दुकानें और व्यवसाय बंद रहे थे, और केवल आपातकालीन सेवाओं को चालू रखा गया था।
छत्तीसगढ़ जैसे देश के मध्य क्षेत्र में इतने अवैध बांग्लादेशियों की उपस्थिति इस समस्या की गंभीरता को उजागर करती है। यह सवाल उठता है कि जब सीमा से दूर स्थित राज्य में इतनी बड़ी संख्या में अवैध अप्रवासी पाए गए हैं, तो सीमा से सटे राज्यों में इनकी तादाद कितनी होगी? क्या यह समस्या केवल एक राज्य तक सीमित है, या यह पूरे देश के लिए एक गंभीर खतरा बन चुकी है? क्या अब समय नहीं आ गया है कि पूरे देश में इस मुद्दे पर व्यापक अभियान चलाया जाए? हालांकि, यह कार्य आसान नहीं होगा। वोट बैंक की राजनीति के चलते कई विपक्षी दल इन घुसपैठियों को निष्कासित करने का विरोध करते रहे हैं। लेकिन यह समस्या सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है; यह राष्ट्र की सुरक्षा और सांस्कृतिक अखंडता का सवाल है।
अवैध अप्रवास के साथ ही छत्तीसगढ़ ने माओवाद के खिलाफ भी एक बड़ी सफलता हासिल की है। बस्तर क्षेत्र के आईजी सुंदर राज पी ने घोषणा की कि बस्तर और कोंडागांव जिलों को माओवाद मुक्त घोषित कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि यह सफलता सघन सुरक्षा अभियानों और सतत विकास प्रयासों के कारण संभव हो पाई है। आईजी राज ने कहा, "हमारे केंद्रित प्रयासों से माओवादियों की गतिविधियां कमजोर हुई हैं, जिससे इन क्षेत्रों में शांति और प्रगति का मार्ग प्रशस्त हुआ है।"
यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब बस्तर ओलंपिक का समापन समारोह निकट है। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शामिल होंगे। उम्मीद है कि इस अवसर पर इन उपलब्धियों को मजबूत करने के लिए और भी उपायों की घोषणा की जाएगी। छत्तीसगढ़ सरकार की यह कार्रवाई एक दिशा प्रदान करती है, लेकिन देशभर में अवैध अप्रवास और उग्रवाद जैसे मुद्दों से निपटने के लिए राजनीतिक सहमति की आवश्यकता है। विपक्षी दलों को वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठकर इस समस्या के समाधान के लिए सरकार का समर्थन करना चाहिए।
अवैध अप्रवास और माओवाद जैसे मुद्दे केवल किसी राज्य विशेष की समस्या नहीं हैं, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा और सांस्कृतिक स्थिरता के लिए गंभीर खतरा हैं। इनसे निपटने के लिए ठोस कदम उठाने और पूरे देश में जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है। राजनीति से ऊपर उठकर सभी दलों को इस दिशा में एकजुट होकर काम करना चाहिए, ताकि भारत को इन आंतरिक खतरों से मुक्त किया जा सके।