इंदौर: मध्य प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर शिक्षकों के लिए जानलेवा साबित हुई है। प्रदेश की टीचर्स एसोसिएशन ने जानकारी दी है कि राज्य में बीते तीन महीनों में कोरोना संक्रमण के कारण 850 स्कूल टीचर्स की मौत हुई है। राज्य शिक्षक संघ के मुखिया जगदीश यादव ने कहा कि, 'राज्य में 6,000 से अधिक स्कूल टीचर वैक्सीनेशन और कोविड-19 सर्वे के दौरान संक्रमित हुए थे। उनमें से 850 से अधिक की अब तक जान जा चुकी है।'
यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश के सभी जिलों में टीचर्स एसोसिएशन की तरफ से किए गए सर्वे में यह जानकारी मिली है।' सबसे अधिक छिंदवाड़ा जिले में 100 अध्यापकों की मौत कोरोना के कारण हुई है। इसके अलावा सिवनी में 95 और राजगढ़ में 78 शिक्षकों ने दम तोड़ा है। अध्यापकों ने इसके लिए सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि उसकी तरफ से टीचर्स को फ्रंटलाइन वर्कर के तौर पर काम में लगा दिया गया, जबकि उन्हें इसका दर्जा भी नहीं दिया गया।
शिक्षकों का कहना है कि इसके कारण उन्हें टीकाकरण में प्राथमिकता नहीं मिल पाई। राजगढ़ जिले में तैनात एक शिक्षक भगवान सिंह राणावत ने कहा कि, 'टीचर्स को कोरोना मामलों के सर्वे और वैक्सीनेशन सेंटरों पर काम की जिम्मेदारी दी गई है। किन्तु उन्हें पीपीई किट या फिर दस्ताने आदि नहीं दिए गए हैं। यहां तक कि मास्क भी वे अपनी ओर से ही इस्तेमाल कर रहे हैं। सरकार ने स्कूलों में टीकाकरण केंद्र स्थापित किए हैं और टीचर्स को बिना आवश्यक किट के ही काम करना पड़ रहा है।'
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