जयपुर: राजस्थान में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सरकार ने एक बड़ा और चर्चित फैसला लिया है। शनिवार को कैबिनेट की बैठक के बाद यह तय किया गया कि पिछली गहलोत सरकार के समय में बनाए गए 20 नए जिलों में से 9 जिलों और 3 संभागों को खत्म कर दिया जाएगा। इस फैसले की जानकारी कैबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल और सुमित गोदारा ने मीडिया को दी।
जिन 9 जिलों को निरस्त किया गया है, उनमें दूदू, केकड़ी, शाहपुरा, नीमकाथाना, गंगापुर सिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, अनूपगढ़ और सांचौर शामिल हैं। वहीं, 8 जिले जैसे बालोतरा, ब्यावर, डीग, डीडवाना-कुचामन, कोटपूतली-बहरोड़, खैरथल-तिजारा, फलौदी और सलूम्बर को यथावत रखा गया है। मंत्री जोगाराम पटेल ने बताया कि 1956 में राजस्थान के गठन के समय 26 जिले थे। बाद में 7 और जिले जोड़े गए। लेकिन गहलोत सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम समय में 17 नए जिलों और 3 नए संभागों (बांसवाड़ा, सीकर, पाली) का गठन किया। यह घोषणा चुनाव आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले की गई थी, जो व्यावहारिक नहीं थी।
सरकार ने एक कमेटी बनाकर इस मुद्दे पर विचार किया। कमेटी ने पाया कि नए जिले न तो जनसंख्या के आधार पर सही थे और न ही प्रशासनिक दृष्टिकोण से उपयोगी थे। इसके बाद यह फैसला लिया गया कि अब राजस्थान में 7 संभाग और कुल 41 जिले रहेंगे। इसके अलावा, ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन का भी निर्णय लिया गया है। सरकार ने वादा किया है कि इस साल एक लाख बेरोजगारों को रोजगार दिया जाएगा। साथ ही, खाद्य सुरक्षा योजना में नए लाभार्थियों को शामिल किया जाएगा।
कानून मंत्री ने यह भी ऐलान किया कि अब कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) में तीन वर्षों तक के स्कोर मान्य होंगे, जबकि पहले यह अवधि केवल एक वर्ष की थी। भजनलाल सरकार के इस फैसले ने प्रदेश में चर्चा का माहौल बना दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में इस फैसले पर जनता और विपक्ष क्या प्रतिक्रिया देता है। क्योंकि, जब अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने ये जिले और संभाग बनाए थे, तब इस फैसले को जनता के लिए लाभकारी बताया गया था, अब भजनलाल सरकार ने इन्हे अनुपयोगी बताते हुए रद्द कर दिया है। ऐसे में कांग्रेस की प्रतिक्रिया स्वाभाविक रूप से नरम तो नहीं होगी।