नई दिल्ली: दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (DTC) द्वारा संचालित की जा रही 3,760 बसों को ‘ओवरएज‘ घोषित कर दिया गया है। इसका सीधा सा अर्थ यह है कि ये अपनी आयु पूरी कर चुकी हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 1971 में शुरू हुई राज्य परिवहन सेवा के इतिहास में ऐसा पहली दफा हुआ है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 99 फीसद लो फ्लोर CNG बसें अपनी तकनीकी परिचालन सीमा (टेक्निकल ऑपरेशनल लिमिट) को पार कर चुकी हैं।
बता दें कि DTC, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है, जहाँ बीते कई वर्षों से अरविन्द केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार है। रिपोर्ट में बताया गया है कि जब किसी बस का परिचालन 8 वर्ष से अधिक हो जाता है, तो ऐसी बसों को ‘ओवरएज’ घोषित कर दिया जाता है। जवाहरलाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्युअल मिशन (JNNURM) के कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार, लो फ्लोर CNG बसें अधिकतम 12 वर्ष तक या 750,000 किमी तक परिचालन में रह सकती हैं। इन बसों की खराब स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इनमें से कोई भी बस 6-8 वर्ष से कम पुरानी नहीं है।
रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ 32 बसें 8-10 साल पुरानी हैं। उनके अलावा 3072 बसें 10-12 वर्ष पुरानी और 656 ऐसी बसें हैं जो परिचालन सीमा 12 वर्ष को भी पार कर चुकी हैं और अब भी चल रही हैं। हालाँकि वर्तमान में 3,760 बसों के मुकाबले DTC को 5,500 बसों की दरकार है और AAP सरकार तो दिल्ली उच्च न्यायालय में यह हलफनामा भी दायर कर चुकी है कि दिल्ली को लगभग 11,000 बसों की जरुरत है। किन्तु अब इन ओवरएज बसों में ब्रेकडाउन की समस्या भी पैदा हो रही है और साथ ही इनकी रोज़ाना के फेरों की संख्या में भी कमी देखने को मिल रही है।
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