यदि आप मध्यप्रदेश के शहर देवास गए हों तो वहां आपको एक ऊंचा पहाड़ नज़र आएगा। जी हां, इस पहाड़ी पर न केवल देवासवासियों बल्कि सभी श्रद्धालुओं की आस्था टिकी है। इस पहाड़ी पर निवास है उस मां का जो देवास के ही साथ यहां आने वालों को सुख - समृद्धि का वरदान देती है। माना जाता है कि यहां माता जागृत अवस्था में विराजित है। इस मंदिर में प्रतिष्ठापित देवियों को छोटी माता और बड़ी माता के नाम से जाना जाता है। दरअसल दोनों ही बहनें हैं। कहा जाता है कि दोनों किसी बात पर विवाद हो गया विवाद के कारण ये माताऐं इस स्थान से जाने लगीं मगर इसी दौरान दोनों रूक गईं।
इसके बाद बड़ी माता पाताल में लगभग आधी समा चुकी थीं ऐसे में जब हनुमानजी और भैरव बाबा ने उनसे वितनी की और माता वहीं ठहर गईं। जबकि छोटी माता को भी विनती कर रोका गया। तब छोटी माता पहाड़ से उठकर जाने लगी थीं। मगर मार्ग बाधित था। ऐसे में माता टकरी में उसी अवस्था में ठहर गईं। वर्तमान में माताऐं ऐसी ही अवस्था में विराजमान हैं।
माना जाता है कि ये दोनों ही देवियां रियासतकाल में चलने वाले होलकर वंश और पंवारवंश की कुलदेवियां हैं। छोटी मां को चामुंडा माता कहा जाता है। बड़ी माता तुलजा भवानी हैं। यहां पर देवी दर्शन के साथ ही भैरव जी के दर्शन अनिर्वाय माने जाते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु कुबेर जी और हनुमान जी के दर्शन भी करते हैं। इन दोनों ही माताओं की श्रद्धालु विशेष पूजा करते हैं। माना जाता है कि यहां आने वालों की सारी मनोकामनाऐं माता पूर्ण करती हैं। यहां माता को सौलह श्रृंगार की सामग्री, साड़ी आदि चढ़ाई जाती है। नवरात्रि और शुक्रवार को यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
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