आज पूरा देश होली का त्यौहार मनाने में मशगूल है .रंगों और उमंगों के साथ होली के त्यौहार का आनंद लिया जा रहा है, लेकिन आप यकीन नहीं करेंगे कि एमपी के बैतूल जिले में एक गांव ऐसा भी है जहाँ पिछले 125 सालों से होली नहीं मनाई गई है.होली नहीं मनाने का कारण जानकर आप चौंक जाएंगे.
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के बैतूल की मुलताई तहसील में डहुआ एक ऐसा गांव है जहां पिछले लगभग सवा सौ साल से होली मनाने पर पर प्रतिबंध लगा हुआ है. बच्चो से लेकर बूढ़ों तक को होली खेलने की मनाही है. ये किसी अंधविश्वास का नहीं बल्कि एक सदी से भी पहले हुए एक निर्णय के पालन के कारण हो रहा है.कहा जाता है कि होली के ही दिन गांव के प्रधान की एक बावड़ी में डूबने से हुई मौत हो गई थी.बस, उस घटना के बाद से ही गांव के प्रमुख लोगों ने दिवंगत प्रधान को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए दोबारा कभी होली ना मनाने का निर्णय लिया जो बदस्तूर आज तक जारी है.
हालाँकि इस गांव के पंच भीमराव बारंगे ने कहा कि गांव के बुजुर्गों का कहना है कि अगर होली का पर्व दोबारा शुरू करना है तो पूरे गांव को एकमत होकर फैसला लेना होगा. क्योंकि इस गांव में होली ना मनाने का फैसला एक धार्मिक मान्यता जैसा बन चुका है जिसे बदलना इतना आसान नहीं है.वहीं 62 साल पहले इस गांव में बहू बनकर आईं लक्ष्मी बारंगे ने बताया कि उन्होंने कभी गांव में होली मनाते नहीं देखा .परंपरा बन गए इस फैसले के कारण लोग आज भी यहां होली खेलने से कतराते हैं.
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