नई दिल्ली: केंद्र की सरकार ने आम लोगो की शिकायतों को जानने के लिए कई टोल फ्री नंबर निश्चित किये है, जिस पर कॉल करके आम नागरिक अपनी शिकायत को सरकार के समक्ष रख सकता है, साथ ही प्रधानमंत्री सहित अन्य विभागों को चिठ्ठी भी भेज सकता है. इस तरह की सुविधाओं से कई विभागों की सच्चाई सामने आयी है और सरकार ने उन संस्थाओ पर कड़े कदम उठाये है. भ्रष्टाचार से लेकर लापरवाही जैसे कार्यो में सरकार द्वारा कड़ी कार्यवाही की जाती है. लेकिन इन सब के विपरीत संस्थान विशेष द्वारा अपने कर्मचारियों को कोई भी शिकायत करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का दबाव बनाया जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य मंत्रालयों को सीधे चिट्ठी लिखे जाने को गंभीरता से लेते हुए एम्स अस्पताल प्रशासन ने अपने कर्मचारियों को चेतावनी दी है, एम्स प्रशासन ने अपने ज्ञापन में कहा है कि 'किसी बाहरी' को सीधे इस तरह की चिट्ठी लिखना अस्पताल की उपेक्षा करना है, इसे अनुपयुक्त व्यवहार माना जाएगा और उनसे अपील की जाती है कि वे अपनी चिंताओं से संबंधित अधिकारियों और संस्थान के निदेशक को अवगत कराएं. इस ज्ञापन के अनुसार 'संस्थान की उपेक्षा कर किसी अन्य को (ईमेल या लोक-शिकायत पोर्टल आदि) इस तरह की चिट्ठी लिखा जाना अनुपयुक्त व्यवहार माना जाएगा. निर्देशों का उल्लंघन करने पर सीसीएस (कंडक्ट) रूल्स, 1964 के रूल 3(1)(3) के तहत कदम उठाया जाएगा और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.' अस्पताल का कहना है कि सेवाओं को लेकर स्टाफ की कई चिट्ठियां मिलीं हैं, जिसमें सीधे प्रधानमंत्री, मंत्रियों, सांसदों और संस्थान से बाहर के लोगों को संबोधित किया गया है.
बता दे कि इस तरह कर्मचारियों पर दबाव बनाना और उन्हें सरकारी विभागों और सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिठ्ठी लिखने से रोकना, कर्मचारियों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर रोक लगाना है, कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार की शिकायत करने के लिए स्वतन्त्र है, उसे रोकना एक क़ानूनी अपराध है जिस पर कड़ी कार्यवाही हो सकती है.