25 सालों के इंतज़ार के बाद पाकिस्तान से आई आवाज़

25 सालों के इंतज़ार के बाद पाकिस्तान से आई आवाज़
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गुवाहाटी: आसाम के धुबरी जिले के दूर जंगल में अपने हॅसते खेलते परिवार के साथ रहने वाली मोमिना. जब माँ लकड़ी बीनने जाती तो मोमिना भी उनका पल्लू पकड़ कर साथ हो लेती. पिता के जाने के बाद से मोमिना उसका छोटा भाई और उसकी माँ अकेले ही रहते थे. लेकिन अचानक उसकी माँ के बीमार हो जाने पर घर की जिम्मेदार 12 वर्षीय मोमिना पर आ पड़ी. पर वो डरी नहीं हिम्मत रख उसने अकेले ही जंगल जाना शुरू किया, वो जंगल जाती लकड़ी बिनती और पास के ही शहर में बेच देती. इस तरह मेहनत करते हुए उसने अपनी मां को बिस्तर से वापिस खड़ा कर लिया. लेकिन जंगल अब भी वो अकेले ही जाती थी. मां घर पर खाना बनाती.

सब कुछ ठीक चल रहा था, मोमिना अब 14 साल की हो चुकीं थी व् खूबसूरत भी और अचानक एक दिन वो भी आया जब वो जंगल से नहीं लौटी. उसकी कमज़ोर मां ने अपने बच्चे को लेकर पूरा जंगल छान लिया, आखिर 2 दिन बाद उन्होंने पुलिस को भी खबर की, लेकिन जैसा होता आया है, गरीबों की कौन सुनता है, उसकी मां रोती, छाती पीटती अपने एकमात्र सहारे को याद करते हुए घर आ गई. उसने कई महीनों तक पुलिस थाने के चक्कर काटे, हर दर पर सर रखा पर कोई असर ना हुआ. धीरे धीरे यादें भी धुंधली होने लगी थी और मोमिना के मिलने की आस भी. मोमिना के भाई ने जिम्मेदारी सम्हाली और अपनी मां का ध्यान रखा, लेकिन उसकी मां, मोमिना के जाने के ग़म को अधिक दिन बर्दाश्त ना कर सकी, और चल बसी. 

25 साल गुज़र गए, मोमिना के भाई की शादी हो चुकीं थी और बच्चे भी, एक दिन मोमिना के भाई के पास पाकिस्तान से फेसबुक पर एक फ्रेंड रिक्वेस्ट आई, यह रिक्वेस्ट मोमिना के सबसे बड़े बेटे सोफियान की थी, जिसके मोबाइल में देखकर मोमिना की आँखे उस पुल पर टिक गई थी, जिसके पास उसका घर था. मोमिना को सिर्फ नाम गुलकनागर और उस पुल के अलावा कोई पता नहीं था. बचपन की याद दिलाने पर मोमिना का भाई भी उसे पहचान गया, दोनों कि आँखों से ख़ुशी के आंसू बह निकले. मोमिना ने बताया की उसका अपहरण हो गया था और अपहरणकर्ताओं ने उसे मानव तस्करी करने वालों को बेच दिया, पर शायद अल्लाह को उस पर रहम आया कि, पाकिस्तान के जिस आदमी ने उसे तस्करों से ख़रीदा था, उसने मोमिना से शादी कर ली. उसी से मोमिना को तीन बच्चे हैं. वह पाकिस्तान में अपने पति के साथ है पर उनके मिलने में अब भी समस्या है.

एक तरफ मोमिना अपने बीमार पति और छोटे बच्चों को छोड़कर भारत नहीं आ सकती. दूसरी तरफ गरीबी के कारण असम का परिवार भी मोमिना से मिलने नहीं जा सकता. दोनों परिवार अभी अपनी अपनी राज्य सरकार से मिलने के लिए मदद की गुहार लगा रहे हैं. सवाल ये है कि 25 सालों के बाद अभी और कितना इंतज़ार मोमिना की जिंदगी में लिखा है. 

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