श्री राम के परम भक्त हनुमान जी को सभी जानते है हनुमान जी के पराक्रम व वीरता से कोई भी अनजान नहीं है लेकिन इनके विषय में एक बात है जो शायद ही कोई जातना हो वह है इनके द्वारा लिखी गई रामायण जिसे हनुमंत रामायण के नाम से जाना जाता था जिसे स्वयं हनुमान जी ने अपने हाथों से समुद्र में फेंक दिया था. ऐसा क्या हुआ था की हनुमान जी ने अपने हाथों से लिखी रामायण को समुद्र में फेंक दिया था आइये जानते है.
लंका से विजय प्राप्त करने के बाद भगवान् राम सीता सहित अयोद्ध्या वापस लौट आये और उनके राज्याभिषेक के बाद हनुमान जी हिमालय पर्वत चले गए वहां उन्होंने अपने नाखून से हिम शिलाओं पर रामायण को उत्कीर्ण किया जिसे हनुमंत रामायण नाम दिया. किन्तु बाद में जब महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की रचना की और उस रामायण को वह भगवान् शिव को दिखाने के लिए गए तब भगवान् शिव ने महर्षि वाल्मीकि व हनुमान जी द्वारा लिखित रामायण का अवलोकन किया गया तब महर्षि वाल्मीकि को बहुत निराशा हुई क्योंकि उन्होंने रामायण की रचना करने में बहुत मेहनत की थी किन्तु हनुमान जी द्वारा लिखित रामायण की तुलना में महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण कुछ भी नही थी. और उनके मन में इस बात का भी भय था की हनुमान जी द्वारा लिखित रामायण को पढ़ने के बाद उनकी रामायण का अपमान हो जाएगा.
महर्षि वाल्मीकि की बातें सुनकर हनुमान जी ने बहुत विचार करने के बाद निर्णय लिया की वह अपने द्वारा लिखित रामायण का त्याग कर देंगे. और हनुमान जी ने हनुमंत रामायण के सम्पूर्ण शिलाखंड को ले जाकर समुद्र में फेंक दिया. तथा वाल्मीकि जी से कहा की भविष्य में आप के द्वारा लिखित रामायण ही प्रथम रामायण होगी व लोग इसे है अधिक महत्व देंगे.
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