धर्म की अगर बात करें तो इस ब्रम्हाण्ड में बहुत से ऐसे धर्म हैं जिनमें अपनी अलग मान्यता, रीतिरिवाज व परम्पराएं होती हैं। उन्ही में से एक धर्म जिसकी मैं यहां पर आपसे चर्चा करने वाला हूॅं। जी हां जिस धर्म के बारे में, मैं आपसे बात करने वाला हूॅं वह धर्म मुस्लिम धर्म है। वैसे तो हर धर्म में अलग-अलग मान्यता होती है, कुछ ऐसी ही खास मान्यता इस धर्म में भी देखने को मिलती है। आखिर ऐसी क्या बात होगी जिसकी वजह से सूअर के मांस को हराम माना जाता है। तो चलिए आज इस रहस्य पर से पर्दा उठाते हैं।
कुरान के अनुसार- इस्लाम धर्म में कुरान को सबसे ज्यादा पवित्र माना जाता है। इनमें ऐसी कई बातें लिखी गई हैं जिसे हर मुस्लिम धर्म का अनुयायी मानते हैं। कुरान में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि इस्लाम धर्म में ऐसे किसी भी जानवर का सेवन करना वर्जित है जो हलाल और जिंबा न किया गया हो।
इस्लाम धर्म में इन्हे खाना हराम है- कुरान जैसे पवित्र ग्रंथ में यह साफ कहा गया है कि किसी भी जानवर का मांस खाना जो किसी बिमारी या दुर्घटना में मर गया हो हराम माना जाता है।
वैज्ञानिकों का मत- वैज्ञानिकों के द्वारा इस शोध में यह पाया गया है कि सूअर का मांस में टाईनिया सोलियम नाम का बैक्टीरिया पाया जाता है जो कि सीधे तौर पर मानव के मस्तिष्क पर हमला बोलता है और इस प्रकार के मांस को खाने से 72 प्रकार की बीमारियां भी हो सकती है। इसलिए इसे खाने को मना किया गया है।
इन अंगों को हानि- जिस स्थान पर सूअर को पाला जाता है उस स्थान पर कई प्रकार के जीवाणु पैदा हो जाते है यदि यह जीवाणु व्यक्ति की आँखों में चले जाते है तो इससे आखों की रौशनी जाने का खतरा हो सकता है तथा यदि ये आपके पेट में पहुँच जाते है तो कई प्रकार की बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती है।
यही वजह है कि इस्लाम धर्म में सूअर का मांस खाना हराम माना गया है। जहां इसकी खोज वैज्ञानिकों के द्वारा की गई तो ठीक वंही आदिकाल में इस समस्या का हल ढूंढ निकाला जा चुका था और तब से ही मुस्लिम धर्म में ऐसी मान्यता व्याप्त हो गई की सूअर का मांस खाना तो दूर उसका नाम लेना भी पाप है।
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इसलिए मुस्लिम धर्म में सूअर का नाम लेना भी होता है पाप
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