पीएनबी घोटाले के सामने आने के बाद बैंकों के नित नए घोटाले सामने आ रहे हैं. जिसमें ऋणग्रहिता की बैंकों से सांठगांठ के साथ लापरवाही सामने आ रही है. ताज़ा मामला दूर संचार कम्पनी एयरसेल का सामने आया है, जिसने बैंकों से 15,500 करोड़ की धोखाधड़ी कर खुद को दिवालिया घोषित कर दिया है.यह जानकारी निजी न्यूज चैनल की रिपोर्ट में सामने आई है.
इस रिपोर्ट के अनुसार दूर संचार कम्पनी एयरसेल ने मुंबई में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में 28 फरवरी को खुद को दिवालिया घोषित करने के लिए आवेदन दिया था, जिसे एनसीएलटी ने मंजूर कर लिया है. कहने का मतलब यह कि अब एयरसेल दिवालिया घोषित हो गया है. जबकि एयरसेल के मालिक मलेशियाई नागरिक आनंद कृष्णन की एयरसेल कंपनी ने 2009 में भारतीय स्टेट बैंक सहित कंसोर्शियम और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक से 14,300 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था. जिसके एवज में एयरसेल ने बैंकों के पास 2जी स्पेक्ट्रम की गारंटी रखी थी, जिसकी तब कीमत सिर्फ 1650 करोड़ रुपये थी.बैंकों ने भी इतनी कम कीमत की गारंटी पर कंपनी को 10,000 करोड़ रुपये का कर्ज दे दिया. इससे बैंकों की लापरवाही साफ़ दिखाई दे रही है.
बता दें कि दूसरे ऋण मामले में विदेशी स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने मूल बैंकिंग एक्सेस कंपनी की संपत्ति की गारंटी रख ली थी. आज हालात यह हैं कि बैंकों के पास एयरसेल की कोई भी ऐसी संपत्ति नहीं है जिसे बैंक बेचकर अपने कर्ज की वसूली कर सके. एयरसेल भारत में पांचवें नंबर की दूरसंचार कम्पनी है.जिसके पास स्पेक्ट्रम नीलामी में 13 सर्किल के 2जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस थे.यदि इन सभी लाइसेंस की भी नीलामी की जाए तो भी कुल कर्ज और देनदारी का 10वां हिस्सा भी वसूल नहीं होगा.जबकि एयरसेल ने खुद को दिवालिया घोषित करवा कर भारत के 15,500 करोड़ रुपये डकार लिए. बैंकों की ऐसी ही लापरवाही की घटनाओं से बैंकों का एनपीए बढ़ता है.
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