बढ़ती तकनीकी आत्म निर्भरता के दौर में सारी चीजें थोड़ी सहज होती जा रही है। अब स्मार्टफोन को भी हैक करना कुछ आसान सा होता जा रहा है। इन दिनों स्मार्टफोन्स पर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस बेस्ड पर्सनल असिस्टेंस का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है।
इसके तहत सिरी, गूगल असिस्टेंट, बिक्सबी और एलेक्सा सरीखे एआई प्रोग्रामों का नाम आता है। खबर है कि चीन की झोजियांग यूनिवर्सिटी की एक टीम ने ऐसी तरकीब ईजाद की है, जिसके तहत बिना आवाज निकाले ही वॉयस रिकॉग्निशन ऐक्टिवेट हो सकता है।
इस तरीके को डॉल्फिन अटैक का नाम दिया गया है। इसके तहत अल्ट्रासॉनिक फ्रीक्वेंसी का उपयोग करके कृत्रिम इंटेलीजेंस बेस्ड वर्चुअल असिस्टेंट को एक्टिवेट करता है। इस फ्रीक्वेंसी को सुनने की क्षमता इंसानों में नहीं होती है, लेकिन स्मार्टफोन के माइक्रोफोन इसे आसानी से सुन लेते है।
इस तकनीक के जरिए स्मार्टफोन के किसी भी ऐप को एक्सेस किया जा सकता है औऱ यूजर को पता भी नहीं चलेगा। कमांडे देकर हैकर इसे हाइजेक भी कर लेगा और इसका गलत इस्तेमाल भी कर सकता है।
वॉयस कमांड के जरिए किसी भी गलत या खतरनाक वेबसाइट को खोलकर डिवाइस को नुकसान भी पहुंचाया जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि डॉल्फिन अटैक में वॉयस कमांड को हम नहीं सुन सकते है, लेकिन हार्डवेयर इसे सुनकर फॉलो कर सकते है। दरअसल, आर्टिफिशियिल इंटेलीजेंस बेस्ड ऐप को यह नहीं पता होता है कि कमांड हैकर दे रहा है या यूजर।