नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत द्वारा आम आदमी पार्टी नेता आशुतोष के खिलाफ अरुण जेटली की ओर से दायर आपराधिक मानहानि के मुकदमे की सुनवाई को पटरी से उतारने की कोशिश मानते हुए उन पर दस हजार रुपये का जुर्माना लगाकर याचिका ख़ारिज कर दी. आशुतोष ने भाजपा नेता का बयान हिंदी में फिर से दर्ज कराये जाने की मांग की थी.
उल्लेखनीय है कि आशुतोष की याचिका को खारिज कर मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दीपक सहरावत ने कहा कि आप नेता की याचिका सुनवाई को पटरी से उतारने का एक प्रयास और अदालत के समय की बर्बादी है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता के अंग्रेजी भाषा की पुस्तक अन्ना : 13 डेज दैट अवेकंड इंडिया के लेखक होने के साथ ही उन्हें अंग्रेजी में साक्षात्कार देते हुए तथा अंग्रेजी समाचार चैनलों पर देखे जाने का जिक्र किया.यहां तक कि उन्होंने आवेदन भी अंग्रेजी में ही लिखा है.
बता दें कि सुनवाई में देरी करने के लिए यह याचिका दायर की गई इसलिए दस हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए उसे खारिज कर दिया और मजिस्ट्रेट ने यह राशि आर्मी वेलफेयर फंड बेटल केजुअल्टीज में जमा कराने का निर्देश दिया. अरुण जेटली की ओर से वकील सिद्धार्थ लूथरा और मनोज तनेजा ने इस याचिका का विरोध किया.
स्मरण रहे कि जेटली ने 2015 में आशुतोष, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य आप नेताओं कुमार विश्वास, संजय सिंह, राघव चड्ढा और दीपक वाजपेयी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था. इन नेताओं ने जेटली के 2000 से 2013 के अध्यक्षीय कार्यकाल में दिल्ली जिला क्रिकेट एसोसिएशन में फंड की हेराफेरी का आरोप लगाया था.
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