नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी द्वारा अपने सांसदों को लेकर सख्ती से कदम उठाए गए हैं। दरअसल कुछ सांसदों को भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने संसदीय समितियों से हटा दिया है। इस दौरान वरिष्ठ पदाधिकारियों ने कहा है कि इन सांसदों की उपस्थिति इतनी नहीं थी। जिसके कारण उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। मिली जानकारी के अनुसार लोक लेखा समिति, आकलन समिति और सार्वजनिक उपक्रम पर आधारित समिति का एक वर्षीय कार्यकाल समाप्त हो गया है।
इसके पूर्व नए सदस्यों का चुनाव या फिर नामांकन किया जा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार वरिष्ठ भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली आंकलन समिति में इसे लेकर विनोद खन्ना और कीर्ति आज़ाद के नामांकन की संभावना को नकार दिया गया। भाजपा द्वारा यह कहा गया कि इन नेताओं की इतनी उपस्थिति नहीं थी। दूसरी ओर यह भी निर्देश दिए गए कि नंद कुमार और वरूण गांधली को सार्वजनिक उपक्रम समिति में स्थान नहीं दिया जा सकता क्योंकि उनकी भी उपस्थिति नहीं है।
उल्लेखनीय है कि किसी भी समिति में रहने के लिए संसद की उपस्थिति होना जरूरी है। तय नियमों के अनुसार उपस्थिति होने पर ही उसे समिति में स्थान दिया जाता है। इस तरह से आंकलन समिति में 30 लोकसभा सदस्य होते हैं और लोक लेखा समिति के ही साथ सार्वजनिक उपक्रम वाली समिति में 22 सदस्य होते हैं। 22 में से समिति में 15 सदस्य लोकसभा के होते हैं। जबकि सात राज्यसभा के होते हैं।