नई दिल्ली: सत्ताधारी भाजपा को वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा का राजनीतिक चंदा मिला है। जानकारी के अनुसार बता दें कि यह आकंड़े चुनाव आयोग को पार्टी द्वारा सौंपे गए वार्षिक रिटर्न में सामने आए हैं। वहीं बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले जहां भाजपा सबसे अमीर पार्टी के तौर पर उभरी है वहीं देश की चार अन्य राजनीतिक पार्टियों को भी मार्च 2018 तक आर्थिक लाभ मिला है।
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यहां हम आपको बता दें कि 2016-17 के दौरान जहां मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी का कोष 681 से बढ़कर 717 करोड़ रुपये हो गया है। वहीं ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस का कोष 262 से 291 करोड़ रुपये हो चुका है। इसके साथ ही भारत की दो कम्युनिस्ट पार्टियां जो बेशक देश की राजनीति में हाशिये पर है उनके कोष में भी इजाफा हुआ है। बता दें कि 2017-18 के दौरान कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया मार्कसिस्ट के कोष में 104 करोड़ रुपये है। यह भाजपा की वार्षिक आय का 10 प्रतिशत है। इसके अलावा कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के कोष में 1.5 करोड़ रुपये हुए हैं।
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गौरतलब है कि कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी एनसीपी ने अभी तक चुनाव आयोग के पास अपनी वार्षिक रिटर्न जमा नहीं करवाई है। जबकि नियमों के अनुसार सभी मान्यता प्राप्त, पंजीकृत पार्टियों के लिए ऐसा करना अनिवार्य है। बता दें कि भाजपा को इस साल 2 जनवरी को भारत सरकार द्वारा अधिसूचित चुनावी बांड से 210 करोड़ रुपये का हिस्सा भी मिला है। दूसरे शब्दों में उसने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा जारी किए गए 222 करोड़ रुपये के बांड में से 95 प्रतिशत हासिल किया।
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