जीवन में हर कोई चाहता है की उसका खुदका मकान हो, वह और उसका परिवार खुद की छत के नीचे अपना जीवन-यापन करें। और जब यही सपना पूरा होता है, आप अपने घर का निर्माण कर रहे होते है तो मन में बहुत सारे सपने होते हैं कि हमारा नया घर ऐसा होगा, हर तरफ खुशहाली होगी और भी बहुत से सपने मन में संजोये रहते हैं लेकिन आमतौर पर हर घर की कहानी यही होती है कि घर में मनमुटाव या फिर झगड़े जैसी परेशानी तो पैदा होती ही है। इसलिए इन सब परेशानी से छुटकारा पाने के लिए जरूरी है की आप घर बनवाने के लिए जो जमीन खरीद रहे हैं इसके लिए कुछ बाते जान लेना बहुत जरूरी है। तो चलिए देखते हैं कि किन पध्दति के द्वारा आप शुभ जमीन को पहचान सकते हैं।
गड्ढा खोदकर परखना- ऐसी भूमि पर एक गहरा गड्ढा खोद लें। याद रहे कि गड्ढा सतही ना हो, यह कम से कम एक हाथ गहरा अवश्य हो। अब उस गड्ढे को वापस खोदी गई मिट्टी से भर दें। यदि गड्ढा पूरा भर जाए और थोड़ी मिट्टी बच जाए, तो ऐसी भूमि तृप्त भूमि कहलाती है। ऐसी भूमि पर निवास करने वाला व्यक्ति हर तरह से सुख समृद्धि से परिपूर्ण जीवन जीता है। यदि गड्ढा भरने में पूरी मिट्टी लग जाए और गड्ढा पूरी तरह से पहले जैसा भर जाए, तो ऐसी भूमि भी रहने के लिए श्रेष्ठ है। यह संतुष्ट भूमि कहलाती है। ऐसी भूमि पर निवास करने वाले के जीवन में कमियां नहीं आती, वह सुखी, संतुष्ट जीवन जीता है।
यदि गड्ढे में खोद कर निकाली गई पूरी मिट्टी भर जाए और फिर भी वह पहले की तरह समतल ना हो, तो ऐसी भूमि बुभुक्षित या भूखी भूमि कहलाती है। ऐसी भूमि पर भूलकर भी मकान का निर्माण नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसी जमीन अपने स्वामी का सब कुछ निगल जाती है। ऐसी भूमि पर निवास करने वाला धन गंवा बैठता है। उसकी प्रगति रूक जाती है और सुख समृद्धि घटती जाती है।
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