भोपाल: प्रदेश की राजधानी भोपाल में हुए गैस कांड को 34 साल हो गए। जानकारी के अनुसार बता दें कि इतने साल बाद भी यूनियन कार्बाइड का कारखाना त्रासदी की याद दिलाते हुए रोज आसपास की 42 बस्तियों में जहर घोल रहा है। बता दें कि इसकी वजह है सालों तक इस कारखाने से निकला जहरीला कचरा, जिसे कंपनी ने कारखाने की जमीन के नीचे दबाया और यह जहर रिसकर पहले 15, फिर 30 और अब 42 बस्तियों तक पहुंच चुका है।
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वहीं बता दें कि इस जहरीले कचरे को जमीन के अंदर दबाने की प्रक्रिया 1969 में यूनियन कार्बाइड के कारखाने की शुरुआत से चल रही है। यह कचरा कारखाने के गोडाउन में बाहर पड़े 340 मीट्रिक टन कचरे से ज्यादा खतरनाक है। बता दें कि इस साल अप्रैल में ही इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सीलॉजी रिसर्च आईआईटीआर ने रिपोर्ट दी है कि यूनियन कार्बाइड कारखाने के आसपास की 42 बस्तियों का भूजल इस जहरीले कचरे की वजह से बहुत ज्यादा प्रदूषित हो चुका है। 34 साल में कई बार भूजल को लेकर रिपोर्ट आई, लेकिन इस कचरे के निष्पादन के लिए कभी कोई कदम नहीं उठाए गए।
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गौरतलब है कि अब इन बस्तियों में स्वास्थ्य सुविधाओं पर काम करने वाली संस्था संभावना ट्रस्ट ने एक शोध सामने रखा है कि गैस पीड़ितों में मृत्यु की दर त्रासदी के गैर प्रभावितों की तुलना में 28 प्रतिशत ज्यादा है। शोध में कहा गया है कि गैस कांड से गैर प्रभावितों की तुलना में प्रभावित लोग 63 प्रतिशत ज्यादा बीमार हैं और इनमें सांस की तकलीफ, घबराहट, सीने में दर्द, चक्कर, जोड़ों में दर्द जैसी समस्याएं आम हैं।
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