वाशिंगटन : अमरीकी सरकार की पाकिस्तान के प्रति मोहब्बत से तो सब वाक़िफ़ हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों से ट्रम्प द्वारा जारी बयानों में, पाकिस्तान को जिस तरह दिखाया जा रहा था, उससे यह कयास लगाए जा रहे थे कि, ट्रम्प प्रशासन पाकिस्तान के बिलकुल खिलाफ है. ट्रम्प जब राष्ट्रपति बने थे तब भी यही समझा जा रहा था कि, पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद रोककर, वे दुनिया से आतंकवाद को खत्म करने के लिए भारत के इस पड़ोसी मुल्क पर दबाव बनायेंगे, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा.
ट्रम्प बार-बार पाकिस्तान की आर्थिक मदद रोकने की बात करते हैं, सोशल मीडिया पर भी पाकिस्तान को आतंकवादी संगठन बताते हुए उसकी खिलाफत करते हैं. ट्रम्प प्रशासन विश्व मंच से या अमेरिकी कांग्रेस और सीनेट में मौखिक रूप से पाकिस्तान पर दबाव बनाते हैं, लेकिन प्रत्यक्ष कार्रवाई करने से हर बार बचते हैं. इस बार भी ऐसा ही हुआ है.
एक अक्तूबर से शुरू होने वाले अमरीकी वित्त वर्ष 2019 के लिए 40 खरब डॉलर का वार्षिक बजट ट्रम्प ने पेश किया है. बजट में पाकिस्तान के लिए 25.6 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद एवं आठ करोड़ डॉलर की सैन्य मदद का प्रस्ताव दिया गया है. वार्षिक बजट में से पाकिस्तान को मदद देने के प्रस्ताव से कुछ हफ्ते पहले ट्रम्प प्रशासन ने आतंकी संगठनों को पनाह देने और उन पर कार्यवाही ना करने के कारण. पाकिस्तान को मिलने वाली करीब दो अरब डॉलर की सुरक्षा सहायता पर रोक लगा दी थी.
अब सवाल यह उठता है कि, ट्रम्प पाकिस्तान को लेकर यह दोहरी नीति क्यों अपना रहे हैं, एक तरफ वे भारत को यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि, वे आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में सहयोगी हैं और दूसरी तरफ भारत के ही खिलाफ सैन्य कार्यवाही करने वाले पाकिस्तान को सैन्य सहायता दे रहे हैं
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