पटना : सत्ता सुख से वंचित कांग्रेस विधायकों में अब बेचैनी बढ़ने लगी है. यही वजह है कि कांग्रेस के लिए अपने विधायकों को बचाए रखना बड़ी चुनौती बन गया है.कई कांग्रेसी विधायकों के मन में सत्ता सुख की लालसा जागने से इनकी टूट की संभावना बढ़ गई है.
उल्लेखनीय है कि बिहार में कांग्रेस बीस साल के बाद 2015 में सत्ता में साझीदार बनी थी. कांग्रेसी विधायकों को दो दशक के बाद सत्ता सुख मिला था, लेकिन नीतीश के बीजेपी से हाथ मिलाकर फिर सीएम बन जाने से कांग्रेस विधायक सत्ता सुख से एक बार फिर वंचित हो गए. कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार ने 2015 के विधानसभा चुनाव के समय अपने एक दर्जन चहेतों को कांग्रेस पार्टी से टिकट दिलाने में मदद की थी. उनमें से कई विधायक जीत भी गए. अब बदले हुए समीकरण में नीतीश कुमार अपने को और मजबूत करने में लगे है.
कहा जा रहा है कि कांग्रेस में जबरदस्त टूट की संभावना बन रही है. इसकी भूमिका भी तैयार हो चुकी है और कांग्रेस के करीब 10 विधायक हैं, जो नीतीश कुमार के संपर्क में है. कांग्रेस का आरजेडी के संग इतना प्रेम सवर्ण विधायकों को रास नहीं आ रहा है. इसीलिए सूत्रों के अनुसार पार्टी के अधिकांश सवर्ण विधायक बीजेपी में जाने को इच्छुक हैं. वहीं अति पिछड़े और महादलित समुदाय के कई विधायकों का रूझान जदयू की ओर झुक रहा है. नीतीश मामले में सबसे ज्यादा नाराजगी पार्टी आलाकमान की चुप्पी को लेकर है. यदि पार्टी नीतीश का साथ देती तो यह दिन न देखना पड़ता. इसलिए पार्टी में टूट तय मानी जा रही है.
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