जिस तरह बिहार की शिक्षा नीति हमेशा कटघरे में रहती है, उसी तरह आए दिन बिहार पुलिस प्रशासन भी कटघरे में खड़ा हुआ नजर आता है. हाल ही में एक फैसले से बिहार पुलिस की जमकर किरकिरी होती हुए नजर आ रही है. प्राप्त मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिहार पुलिस ने दो खूंखार आरोपियों को पकड़ने पर 3500 रु का इनाम रखा था, बस इसी बात को लेकर बिहार पुलिस हंसी का पात्र बनी हुई है. यह बात किसी के गले नही उतर रही है कि बिहार पुलिस ने खूंखार आतंकियों को पकड़ने के लिए केवल 3500 रु का इनाम रखा था.
बिहार पुलिस द्वारा जिन खूंखार आतंकियों को पकड़ने के लिए 3500 रु का इनाम रखा था, उन्हें अनुराग बासु नामक शख्स द्वारा पकड़ा जा चुका है, उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक प्रशस्ति पत्र और 3500 रुपये देकर सम्मानित भी किया है. लेकिन, अब सवाल यह उठता है कि क्या बिहार पुलिस और प्रशासन की नजरों में आतंकवाद के खिलाफ लड़ने वाले लोगों की कोई कीमत और अहमियत नहीं है ? अगर है तो फिर यह इनाम अनुराग बासु के लिए उपयुक्त नहीं है, इसके साथ ही बिहार पुलिस और प्रशासन द्वारा अनुराग को रत्ती भर भी श्रेय नहीं दिया जा रहा है.
अनुराग बासु का नाम भी पुलिस ने इसीलिए चार्जशीट में नहीं दर्शाया है. उन्हें ऊपर से धमकियां भी दी गई है. अनुराग बासु ने कहा कि पुलिस उसे 120बी में फंसाने की धमकी भी देती रहती है. आपको बता दे कि अनुराग बासु ने अपनी जान पर खेलकर 56 लोगों की हत्या करने वाले खूंखार आतंकियों को पकड़ा है.
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